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टीटीपी ने दबाई पाकिस्तान की कमजोर नस, चीन तक बढ़ी बेचैनी, असीम मुनीर बॉर्डर से सेना बुलाने को मजबूर

इस्लामाबाद: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लड़ाके पाकिस्तानी सेना को लगातार निशाना बना रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में पाक आर्मी पर हमले कर रही टीटीपी ने हालिया दिनों में अपनी रणनीति में खास बदलाव किया है। टीटीपी ने अपने हमलों का केंद्र चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को बना लिया है। चीनी निवेश वाले इस क्षेत्र पर टीटीपी के बढ़ते हमले पाकिस्तान की सरकार और सेना के सामने दोहरी मुश्किल खड़ी की है।

सीपीईसी इस्लामाबाद-डीआई खान (एम-14) रूट पर पाकिस्तानी सेना और टीटीपी के बीच टकराव पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और चीन पर निर्भरता के दोहरे संकट को बढ़ाता है। टीटीपी ने इस महत्वपूर्ण आर्थिक गलियारे को युद्ध के मैदान में बदल दिया है। इससे पाकिस्तान को सीपीईसी परियोजनाओं की रक्षा के लिए अपने पारंपरिक मोर्चों से सैनिकों को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सीपीईसी की सुरक्षा के लिए पाक आर्मी बॉर्डर से बुलाई जा रही है। ये अलग तरह की चुनौती असीम मुनीर के सामने पैदा करती है।

सीपीईसी कॉरिडोर पर कर रहे कब्जा

न्यूज18 ने दावा किया है कि कबायली इलाकों में टीटीपी के लोगों ने सीपीईसी कॉरडोर के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। यह इन इलाकों में टीटीपी के बढ़ते नियंत्रण का संकेत है। अफगानिस्तान की सीमा के पास टीटीपी की बढ़ती क्षमता पाकिस्तान की रणनीतिक कमजोरी को उजागर कर रही है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों में तनाव ने चीजों को और खराब किया है। इससे निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया के लिए इस्लामाबाद के विकल्प भी सीमित हो गए हैं।

सैन्य टकराव के साथ टीपी आर्थिक युद्ध के अभियान में सक्रिय रूप से शामिल है। यह समूह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के ठेकेदारों से वसूली कर रहा है। पैसा ना देने पर यह मजदूरों और निर्माण स्थलों पर काम कर रहे इंजीनियरो को धमका रहा है। इससे इन जटिल परियोजनाओं पर वित्तीय दबाव और सुरक्षा जोखिम बढ़ गया है।

चीन का उठ रहा भरोसा

चीन के लिए भी खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में सीपीईसी परियोजनाएं चिंता का सबब बन रही हैं। इस परियोजना में चीन की सुरक्षा हिस्सेदारी बढ़ रही है लेकिन सुरक्षा के मामले में वह पाकिस्तान से खुश नहीं है। इसके चलते वह निजी सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने पर काम कर रहा है। चीन को सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना पर निर्भर रहना जोखिमभरा लग रहा है। ऐसे में चीन चाहता है कि अपने प्रोजेक्ट की सुरक्षा वह खुद करे।

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