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CM-1715 नए उद्योग लगे, बायो एथेनॉल बनाने वाली 18 कंपनियां

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी में रविवार को उद्योग, व्यापार और कारोबार से जुड़े विषयों पर बात की। मुख्यमंत्री ने बताया, पिछले तीन सालों के दौरान छत्तीसगढ़ में 1715 नए उद्योग लगे हैं। 149 नए करार किए गए हैं। इनमें 18 निवेशक तो बायो एथेनाल प्लांट के लिए करार कर चुके हैं।

औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया था, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन प्रीमियम में 30% की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में भू-भाटक में 33% की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आवंटित भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने की अधिसूचना जारी हुई।

ऐसे प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में एक हजार 715 नए उद्योग स्थापित हुए जिसमें 19 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं। इसमें 74 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

सरकार ने बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3 हजार 300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया है। जिसमें 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। हमने तो धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी केन्द्र सरकार से मांगी है। यदि यह अनुमति मिल गई तो धान के बम्पर उत्पादन को सही दिशा में उपयोग करते हुए हम बड़े पैमाने पर एथेनॉल बना सकते हैं और इससे बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर भी बना सकते हैं। इससे हम धान उत्पादक किसानों को बेहतर दाम दिलाने और उनकी माली हालत में लगातार सुधार के रास्ते भी बना सकते हैं।

फूड पार्क की स्थापना के लिए 110 विकासखंड में भूमि का चिह्नांकन कर लिया है। औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ऐसा कोई प्रावधान औद्योगिक नीति में नहीं था। इस दिशा में ध्यान देते हुए ओबीसी वर्ग हेतु 10% भू-खण्ड आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। यह 10% प्रीमियम दर तथा 1% भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है। पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं। कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं।

दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दू पत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई। हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है। खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी गई जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो। कृषि और वानिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।

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