उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय कैप्टन शुभम की मां को 50 लाख रुपये का चेक दे रहे थे। इस दौरान कैमरामैन ने फोटो खींचना शुरू कर दिए। बेटे के गम में टूटी हुई मां को ये बर्दाश्त नहीं हो पाया। वो बिलखते हुए बोली- मेरी प्रदर्शनी मत लगाओ।
राजौरी में शहीद हुए कैप्टन शुभम गुप्ता को राज्य सरकार ने 50 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की थी। शुक्रवार को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और पूर्व मंत्री एवं विधायक डाॅ. जीएस धर्मेश शहीद कैप्टन की मां और पिता को 50 लाख रुपये का चेक सौंपने पहुंचे। चेक देने के दौरान फोटो खिंचाने पर शुभम की बिलखती हुई मां ने मंत्री से कहा कि मेरे लिए प्रदर्शनी मत लगाओ। मेरे बेटू शुभम को बुला दो। मां के ये शब्द सुनकर मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय भी निशब्द रह गए। उच्च शिक्षा मंत्री अपने साथ कैमरामैन और मीडिया को लेकर पहुंचे थे। बेटे के गम में डूबी मां को खड़ा कराकर उन्होंने फोटो सेशन कराया। ये भी पढ़ें – ‘मैं रखूंगा अपने भाई को जिंदा’: कैप्टन शुभम गुप्ता के छोटे भाई ने वर्दी पहन खाई ये कसम, फट पड़ा मां का कलेजा राजौरी से शाम को पहुंचा पार्थिव शरीर कश्मीर के राजौरी में आतंकियों से
लोहा लेते हुए आगरा के लाल शुभम गुप्ता ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। उनका पार्थिव शरीर खेरिया एयरफोर्स स्टेशन पर अपराह्न 3:30 बजे पहुुंचा, जहां सेना के फूलों से सजाए गए ट्रक में उनके पार्थिक शरीर को ताजनगरी फेज-1 प्रतीक एन्क्लेव स्थित उनके घर तक लाया गया रोने लगे पिता यहां दो दिन से बेटे का इंतजार कर रहे पिता डीजीसी बंसत गुप्ता ट्रक देखते ही बिलख-बिलख कर रोने लगे। प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने यहीं पर शहीद को अंतिम प्रणाम किया। हजारों लोगों की भीड़ शहीद के सम्मान में नारे लगाते हुए यहां से शुभम के पैतृक गांव कुंआखेड़ा पहुंची, जहां रात में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
लोहा लेते हुए आगरा के लाल शुभम गुप्ता ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। उनका पार्थिव शरीर खेरिया एयरफोर्स स्टेशन पर अपराह्न 3:30 बजे पहुुंचा, जहां सेना के फूलों से सजाए गए ट्रक में उनके पार्थिक शरीर को ताजनगरी फेज-1 प्रतीक एन्क्लेव स्थित उनके घर तक लाया गया रोने लगे पिता यहां दो दिन से बेटे का इंतजार कर रहे पिता डीजीसी बंसत गुप्ता ट्रक देखते ही बिलख-बिलख कर रोने लगे। प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने यहीं पर शहीद को अंतिम प्रणाम किया। हजारों लोगों की भीड़ शहीद के सम्मान में नारे लगाते हुए यहां से शुभम के पैतृक गांव कुंआखेड़ा पहुंची, जहां रात में उनका अंतिम संस्कार किया गया।