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अनुकंपा नियुक्ति घोटाला, DEO सस्पेंड

बिलासपुर  अनुकंपा नियुक्ति में घपलेबाजी करने वाले तत्कालीन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पी दासरथी को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया है। दरअसल, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी ने नियमों को ताक में रखकर अपात्रों को अनुकंपा नियुक्ति दे दी थी। हालांकि, शिकायत के बाद राज्य शासन ने अपात्र अनुकंपा नियुक्ति पाने वालों को बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, दोषी जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी।

राज्य शासन ने कोरोना कॉल में बड़ी संख्या में शिक्षक सहित विभाग के अन्य कर्मचारियों की मृत्यु हो गई थी। इसे देखते हुए राज्य शासन ने अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में संशोधन करते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों को छूट दी थी।

इसके अनुसार दस फीसदी रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के प्रावधान को शिथिल कर 100 फीसदी कर दिया था। इसका फायदा उठाते हुए जिल के तत्कालीन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पी दासरथी ने नियमों को ताक में रखकर अपात्र आवेदकों को अनुकंपा नियुक्ति दे दी।

बताया जा रहा है कि जिले में ऐसे नियुक्ति के 65 आवेदन मिले थे। जिसमें से 48 पदों पर नियुक्ति दी गई थी। जब अनुकंपा नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत हुई, तब जांच कराई गई। जांच के बाद अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले पांच लोगों को बर्खास्त कर दिया गया।

दोषियों पर नहीं हुई थी कार्रवाई, तब दोबारा हुई शिकायत
इस पूरे मामले में राज्य शासन के निर्देश पर जांच कराई गई। जांच के जिनकी नियुक्ति में गड़बड़ी पाई गई। उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन, नियुक्ति में अनियमितता बरतने वाले दोषी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। तब इस मामले की दोबारा शिकायत की गई। इसी शिकायत के आधार पर तत्कालीन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पी दासरथी को निलंबित करने का आदेश दिया गया है।

अनुकंपा नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत हुई, तब तत्कालीन खंड लिपिक विकास तिवारी के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की गई थी। जांच में अनियमितता पाई गई। लेकिन, खंड लिपिक विकास तिवारी का तबादला कर दिया गया। अब तत्कालीन डीईओ के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद खंड लिपिक विकास तिवारी के खिलाफ भी कार्रवाई होने की बात कही जा रही है।

 अधिकारी की अनुमति के बिना ही कर दी नियुक्ति
दरअसल, तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी पी दासरथी को विभाग ने प्रभार सौंपा था। ऐसे में उन्हें नियुक्ति करने का अधिकार ही नहीं था। लेकिन, उन्होंने बिना सक्षम अधिकारी की सहमति और अनुमति के बिना ही अनुकंपा नियुक्ति दे दी।

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