रायपुर निजी स्कूलों में शुल्क वृद्धि को लेकर शिक्षा विभाग की टीम राजधानी रायपुर के स्कूलों में जांच कर रही है। जिन स्कूलों में मनमानी फीस वसूला जा रहा है, उनको शिक्षा विभाग की ओर से नोटिस दिया जा रहा है। वही अब प्राइवेट स्कूलों ने इस कार्रवाई का विरोध किया है। मैनेजमेंट एसोसिएशन ने मंगलवार को रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा और अपनी मांग रखी है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि नए कानून के तहत स्कूल स्तरीय जिस समिति को शुल्क वृद्धि का अधिकार दिया गया है, उसमें कलेक्टर की ओर से नामित एक प्रतिनिधि भी है। अगर स्कूल ने 8 प्रतिशत से अधिक शुल्क बढ़ाया है तो प्रशासन के प्रतिनिधि की भी जिम्मेदारी बनती है। कायदे से उन लोगों को भी तलब किया जाना चाहिए ताकि जवाबदेही तय की जा सके।
शुल्क विनियमन अधिनियम लागू होने के समय ही स्कूल शिक्षा विभाग ने एक पोर्टल शुरू किया था। प्रदेश के सभी स्कूलों को अपनी फीस इस पोर्टल पर ऑनलाइन अपडेट करनी होती है। पिछले दो सालों से इस पोर्टल को अपडेट नहीं किया गया है।
इसकी वजह से निजी स्कूल अपनी फीस सार्वजनिक नहीं कर पा रहे हैं। निजी स्कूलों ने स्कूल शिक्षा विभाग के साथ किताबों और यूनिफॉर्म पर की जा रही सख्ती पर सवाल उठाया है। उनका कहना है, अधिकांश निजी स्कूल सीबीएसई से मान्यता लिए हुए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग से मान्यता का सवाल ही नहीं है। इनको केवल एनओसी देना है। इसी मान से अपग्रेड किताबों को लाया जाता है। यूनिफॉर्म पर भी यही स्थिति है। एसोसिएशन ने किताबों और यूनिफॉर्म पर भी सरकार को नीती स्पष्ट करने की मांग की है। निजी स्कूलों के एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने मान्यता नवीनीकरण के आवेदन तीन-चार सालों से लटका रखे हैं।
किसी को मान्यता नहीं दी जा रही है। यह भी नहीं बताया जा रहा है कि उनके विद्यालय में क्या कमी है। अब जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से भेजे गए जांच दल स्कूलों को इसके लिए धमका रहे हैं। जबकि स्कूल मैनेजमेंट जांच दल को मान्यता आवेदन लंबित होने की जानकारी दे रहा है।