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54 करोड़ के घोटाले में कार्रवाई,पूर्व जिला पंचायत सदस्य

दुर्ग   गातापार क्षेत्र स्थित पूर्व जिला पंचायत जयंती साहू और उनके भाई विमल साहू के घर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रेड पड़ी है। ED की 13 सदस्यीय टीम सोमवार तड़के यहां पहुंची और घर को सील कर दिया है। कार्रवाई के दौरान घर के अंदर से किसी न बाहर जाने दिया जा रहा है और न अंदर आने दिया जा रहा है। ED ने यह रेड रायपुर के शराब कारोबारी सुभाष शर्मा के साथ जुड़े तार के चलते मारी है। सुभाष ने कुल 54 करोड़ रुपए का घोटाला किया था।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू के भाई विमल साहू के ऊपर आरोप है कि उन्होंने फर्जी कंपनी के नाम से दस्तावेज तैयार करके करोड़ों रुपए का बैंक लोन लेकर गबन किया है। इसके साथ ही दोनों के यहां करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति का पता चला है। इसी का पता लगाने के लिए ED की टीम ने सुबह यहां अचानक दबिश दी है।

सुबह से ही अधिकारी पूरे घर की तलाशी ले रहे हैं। अधिकारी इनकी चल व अचल संपत्ति का पता लगा रहे हैं। बताया जा रहा कि ये रेड पूरी तरह कांफिडेंशियल थी। इसकी जानकारी राज्य स्तर के किसी भी अधिकारी को नहीं दी गई थी। कहा जा रहा है कि कांफिडेंशियल के कुछ अन्य अधिकारियों ने इन दोनों के दल्लीराजहरा समेत अन्य जगहों पर रह रहे इनके रिश्तेदारों के घरों में भी छापा मारा है।

 इसके अलावा ईडी की टीम ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कंपनियां बनाकर लोन लेने के आरोपी सुभाष शर्मा के घर पर भी दबिश दी है। हालांकि इन दिनो सुभाष शर्मा ईडी की रिमांड में हैं। जिससे पूछताछ में मिले इनपुट के आधार जांच के लिए टीम घर समेत कई स्थानों पर जांच कर रही है।

वहीं सूत्रों के मुताबिक एक टीम सुभाष शर्मा के बालोद स्थिल घर में भी दबिश देने पहुंची है। उल्लेखनीय है कि शराब कारोबारी और होटल व्यवसाय से जुड़े सुभाष शर्मा के खिलाफ रायपुर के गोल बाजार और सिविल लाइन थाने में अपराध दर्ज थे। 2015 में विक्रम राणा नाम के व्यक्ति ने गोल बाजार थाने में शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की थी।

उसके मुताबिक सुभाष शर्मा ने राणा की जमीन बंधक रखकर पंजाब नेशनल बैंक से करीब 16.50 करोड़ का कर्ज लिया था। किस्तें अदा नहीं होने पर बैंक ने राणा को नोटिस भेजा। उसके बाद इस फ्रॉड की जानकारी हुई। इस मामले में गोल बाजार पुलिस ने अप्रैल 2018 में उसे गिरफ्तार किया, हालांकि बाद में सुभाष शर्मा जमानत पर छूटा और शहर छोड़ कर कहीं गायब हो गया।

सुभाष शर्मा ने होटल सफायर इन, गुडलक पेट्रोलियम कंपनी और मेसर्स विदित ट्रेडिंग कंपनी के लिए 38.50 करोड़ का कर्ज लिया था। यह रकम एक्सिस बैंक और पंजाब नेशनल बैंक रायपुर से ली गई थी। इनकी किस्तें अदा नहीं हुईं, उसके बाद बैंकों ने इस खाते को फ्रॉड घोषित कर दिया।

कागजी कंपनियां खोलीं प्रवर्तन निदेशालय के सूत्र बताते है कि सुभाष शर्मा नाम के इस शख्स ने अनेक कागजी कंपनियां खोली थीं। इन कंपनियों में कोई काम नहीं होता था। आरोप है कि इन कंपनियों को बैंकों से लोन लेने के लिए ही खोला गया था। निदेशालय के मुताबिक, सुभाष शर्मा ने अनेक बैंकों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का लोन लिया।

इस बाबत छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो में लगभग 54 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले दर्ज भी हुए। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में अपराध दर्ज उपरोक्त मामलों के आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान पाया गया कि सुभाष शर्मा ने बैंकों से जिस काम के लिए लोन लिया था उन कामों में पैसा ना लगाकर बैंकों से लिए गए लोन के पैसे का इस्तेमाल अचल संपत्ति को खरीदने में किया। यह भी आरोप है कि बैंकों से लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया।

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