तालिबान शरिया कानून को लागू करने को लेकर किस कदर हावी है, इसका नजारा शनिवार को काबुल यूनिवर्सिटी में देखने को मिला। तालिबान के नेताओं ने यहां शरिया को लेकर एक लेक्चर का आयोजन किया। कार्याक्रम में यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली 300 युवतियां शामिल हुईं।
कार्यक्रम की खास बात ये रही कि सभी युवतियों का चेहरा बुर्के से ढका हुआ था। युवतियों को शरिया कानून मानने के लिए शपथ भी दिलाई गई। इस दौरान हर युवती के हाथ में तालिबान का झंडा भी था। तालिबान ने अपने शासन में महिलाओं के लिए विशेष तौर पर ये ड्रेस कोड जारी किया है। इससे पहले कॉलेज और यूनिवर्सिटी में क्लास के दौरान भी लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग बैठने का फरमान जारी किया है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के काबिज होने के बाद सबसे ज्याद परेशानी महिलाओं और बच्चों को है। खासकर काम और पढ़ाई करने वाली महिलाएं अपने हक और हुकूक को लेकर बंदूक के नोक पर खड़ी हैं। कुछ दिन पहले महिलाओं ने लगातार प्रदर्शन भी किए थे। इन पर तालिबानियों ने गोलियां और कोड़े बरसाए थे। कई महिलाओं को बंदूक के बट से चेहरे पर वार किया गया था।
अफगानिस्तान में तालिबानी राज के बीच पाकिस्तान और चीन को अपने यहां मौजूद विद्रेाही संगठनों से खतरा महसूस होने लगा है। दोनों देशों ने तालिबान से इन संगठनों को पनाह न देने की अपील की है।
इस संगठनों में पाकिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और चीन में उइगर और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) शामिल हैं।
पाकिस्तान सरकार की पहल पर पाकिस्तान, चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने 8 सितंबर को वर्चुअल मीटिंग के जरिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के बीच अफगान मुद्दे पर बैठक की थी। जहां टीटीपी और बीएलए को पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के रूप में प्रतिबंधित किया गया है, वहीं ईटीआईएम चीन के लिए खतरा है।