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भारत-रूस तेल सौदा,प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं, लेकिन इतिहास याद रखेगा आप किधर खड़े थे, अमेरिका

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लगे प्रतिबंधों के बाद रूस की ओर से भारत को रियायती दरों पर कच्चे तेल की पेशकश की गई है। भारत इस प्रस्ताव पर अभी विचार ही कर रहा है, लेकिन इससे पहले ही भारत के रुख पर दुनिया की नजरें जम गई हैं। अमेरिका का कहना है कि अगर, भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो यह अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा। हालांकि, यह सौदा भारत को गलत पक्ष में जरूर खड़ा कर देगा।

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि, मुझे नहीं लगता इस सौदे से अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई उल्लंघ होगा। लेकिन, हमें यह याद रखना होगा जब आज के समय की इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी, तब आप किधर खड़े थे। साकी ने कहा कि, किसी भी देश के लिए हमारा संदेश यह है कि उन प्रतिबंधों का पालन करें जिनकी हमने सिफारिश की है।

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद डॉ. अमी बेरा ने भी उन रिपोर्ट पर निराशा जताई है, जिनमें कहा गया है कि भारत भारी छूट वाले रूसी प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। बेरा ने कहा कि इतिहास देखेगा कि यूक्रेन पर आक्रमण के विरोध में दुनिया उसके समर्थन में खड़ी थी, तब आपने रूस के साथ रहना पसंद किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और क्वाड नेता के रूप में भारत की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वह पुतिन और उनके आक्रमण का समर्थन नहीं करता।

रूस पर लगे प्रतिबंध तोड़े 

रूस के संबंध में चीन जो भी फैसला करेगा, उस पर दुनिया की नजर होगी। प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, हम करीबी नजर बनाए हुए हैं। दुनिया की भी इस पर करीबी नजर है। हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) इसको लेकर स्पष्ट हैं कि यदि चीन हमारे प्रतिबंधों का उल्लंघन करता है तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे।

अमेरिका का यह बयान उन खबरों के बीच आया है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को सैन्य या आर्थिक मदद करने की कोशिश कर रहा है। साकी ने कहा, चीन जो निर्णय लेता है उस पर दुनिया की नजर होगी, लेकिन किसी भी संभावित प्रभाव या परिणाम के संदर्भ में, हम इसे राजनयिक माध्यमों पर छोड़ देंगे।

उन्होंने कहा, हमारे एनएसए ने अपने चीनी एनएसए से लंबी वार्ता में ‘एक-चीन नीति’ को दोहराई, साथ ही ताइवान क्षेत्र में चीन की बलपूर्वक एवं उकसावे वाली कार्रवाइयों को लेकर चिंताएं भी रेखांकित कीं। यह पूछने पर कि यदि चीन युद्ध में रूस को सैन्य या आर्थिक मदद करता हुआ पाया जाता है, तो इसके जवाब में क्या कार्रवाई की जाएगी? इस पर साकी ने कहा कि अमेरिका सीधे चीन और चीनी नेतृत्व के साथ इस संबंध में बातचीत करेगा, मीडिया के माध्यम से नहीं।

भारत ने खरीदा 30 लाख बैरल तेल

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले के बाद पहली बार 30 लाख बैरल तेल रूस से खरीदा है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। इसमें से केवल 2 से 3 प्रतिशत तेल ही रूस से आता है। उधर, यूरोपीय देश अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी रूस से तेल और गैस मंगा रहे हैं।

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