नारायणपुर जिले में धर्मांतरण के विरोध में हाथों में तीर-धनुष लेकर सैकड़ों ग्रामीण लामबंद हो गए हैं। लगभग 10 ग्राम पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण धर्मांतरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं। सैकड़ों ग्रामीणों ने कहा कि, हमारे आदिवासी भाई खुद के धर्म और संस्कृति को छोड़ कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं। इससे आदिवासी संस्कृति खतरे में है। इधर, कुछ का कहना था कि हम एक ही मां-बाप के बच्चे हैं, लेकिन अब धर्म बदल गया है। अपनों को धर्म में वापस लाना है।
दरअसल, जिले के अबुझमाड़ इलाके के आकाबेड़ा में सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर सैकड़ों ग्रामीण मंगलवार को इकठ्ठा हुए थे। ग्रामीणों की इस बैठक में धर्म परिवर्तन करने वाले ग्रामीणों को भी बुलाया गया था। जिन्हें अपने धर्म में वापस लाने के लिए समझाइश दी गई। लेकिन, किसी ने भी वापसी के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिन्हें कुछ और दिनों का समय दिया गया है। यदि धर्म परिवर्तन किए ग्रामीणों का मन बदल जाता है तो उन्हें वापस अपने मूल धर्म में लाया जाएगा।
धर्मांतरण तो नारायणपुर में करेंगे आंदोलन
धर्मांतरण के विरोध में लामबंद हुई इन ग्रामीणों की भीड़ ने साफ तौर पर कह दिया है कि गांव-गांव में लगातार धर्मांतरण हो रहा है। यदि अब धर्मांतरण नहीं रुकता है तो नारायणपुर जिला मुख्यालय में उग्र आंदोलन करेंगे। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए हर कदम उठाएंगे। ग्रामीणों ने इलाके में जगह-जगह सफेद रंग के बैनर भी बांधे हैं और उन बैनरों में धर्मांतरण न करने की बात लिखी हुई है। साथ ही ईसाई मिशनरियों को गांव में घुसने के लिए साफ मना किया गया है।
कुछ ग्रामीणों ने कहा कि, धर्म परिवर्तन किए ग्रामीणों को हम अपने धर्म में लाने के लिए हर तरह का प्रयास कर रहे हैं। यदि वे समझ जाते हैं तो हमारे होंगे, नहीं समझते हैं तो हमारे लिए वे विदेशी होंगे। धर्म परिवर्तन किया कोई भी व्यक्ति यदि अपने मूल धर्म में वापस आना चाहेगा तो उसे एक नारियल देकर वापस लाया जाएगा।
आकाबेड़ा में जुटी ग्रामीणों की भीड़ जब धर्मांतरण किए ग्रामीणों को समझाइश दे रही थी तो उस समय माहौल थोड़ा गरमाया गया था। धर्म परिवर्तन किए एक ग्रामीण ने गांव के ही दूसरे व्यक्ति के सिर में कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। ग्रामीण को सिर में गहरी चोट भी आई। हालांकि इस मामले को वहीं रफा-दफा कर दिया गया था।