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पीएम मोदी की सोमनाथ मंदिर को सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर परिसर में माता पार्वती मंदिर के शिलान्यास, सोमनाथ समुद्र दर्शन तथा संग्रहालय के शिलान्यास व लोकार्पण समारोह को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि आतंक का अस्तित्व अधिक समय तक नहीं रह सकता, कुछ समय तक ताकत के बल पर सत्ता हथिया सकता है, लेकिन उसका टिके रहना मुश्किल होता है।

प्रधानमंत्री ने नाम लिए बिना अफगानिस्तान में बंदूक की नोंक पर सत्ता हथियाने वाले तालिबान की ओर की स्पष्ट इशारा किया। मोदी ने कहा आतंक से आस्था को नहीं कुचला जा सकता।

सोमनाथ मंदिर इसका जीता-जागता उदाहरण है।सोमनाथ मंदिर समारोह के समारोह में दिल्ली से आनलाइन जुड़ रहा हूं, लेकिन मन से वहीं पर महसूस करता हूं।

सरदार पटेल ने आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार अपने दृढ़संकल्प से किया मैं उनको नमन करता हूं। समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जहां वर्चुअल शामिल हुए।

वहीं, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल तथा गुजरात के पर्यटन मंत्री जवाहर चावड़ा सोमनाथ में मौजूद रहे।सोमनाथ सदियों से भगवान शिव की भूमि रही है। शास्त्रों में कहा गया है, जो सिद्धि व कल्याण को प्राप्त करें, वही शिव है। संहार में भी सृजन को जन्म देने वाले भगवान सोमनाथ हैं, शिव अनादि योगी हैं। भगवान शिव का मंदिर हमें प्राचीनता और हमारे अस्तित्व का बोध कराता है। दुनिया का कोई भी व्यक्ति जब इस स्थापत्य की अद्भुत कला को देखता है तो उसे केवल एक मंदिर नजर नहीं आता, बल्कि हजारों सालों की सभ्यता और संस्कृति नजर आती है, जो सबको प्रेरणा देती है।

हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रभास याने प्रकाश, ज्ञान का क्षेत्र के रूप में विकसित किया। आस्था को आतंक से नहीं कुचला जा सकता। इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया नष्ट किया गया। प्रतिमाओं को खंडित किया गया। अस्तित्व को मिटाने का हर संभव प्रयास किया गया। जितने भी बार इसे गिराया गया, यह उतनी ही बार खड़ा हुआ।सोमनाथ सदियों से भगवान शिव की भूमि रही है।

शास्त्रों में कहा गया है, जो सिद्धि व कल्याण को प्राप्त करें, वही शिव है। संहार में भी सृजन को जन्म देने वाले भगवान सोमनाथ हैं, शिव अनादि योगी हैं। भगवान शिव का मंदिर हमें प्राचीनता और हमारे अस्तित्व का बोध कराता है।

दुनिया का कोई भी व्यक्ति जब इस स्थापत्य की अद्भुत कला को देखता है तो उसे केवल एक मंदिर नजर नहीं आता, बल्कि हजारों सालों की सभ्यता और संस्कृति नजर आती है, जो सबको प्रेरणा देती है। हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रभास याने प्रकाश, ज्ञान का क्षेत्र के रूप में विकसित किया। आस्था को आतंक से नहीं कुचला जा सकता। इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया नष्ट किया गया।

प्रतिमाओं को खंडित किया गया। अस्तित्व को मिटाने का हर संभव प्रयास किया गया। जितने भी बार इसे गिराया गया, यह उतनी ही बार खड़ा हुआ।

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