



वाराणसी पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 1700 करोड़ से ज्यादा की सौगात दी है। सिगरा स्टेडियम से उन्होंने 43 योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इससे पहले अक्षय पात्र रसोई का उद्घाटन और नई शिक्षा नीति पर आयोजित सम्मेलन का शुभारंभ किया।
सरकार ने हमेशा गरीब की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया है, उसके सुख-दुख में साथ देने का प्रयास किया है। कोरोना की मुफ्त वैक्सीन से लेकर गरीबों को मुफ्त राशन की व्यवस्था तक, सरकार ने आपकी सेवा का कोई अवसर छोड़ा नहीं है। विकास का अर्थ सिर्फ चमक-धमक नहीं है। हमारे लिए विकास का अर्थ है गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी, माताएं-बहनें, सबका सशक्तिकरण है।
सावन बहुत दूर नहीं है। देश और दुनिया से बाबा भक्त भारी संख्या में काशी आने वाले हैं। विश्वनाथ धाम परियोजना पूरी होने के बाद ये पहला सावन उत्सव होगा। विश्वनाथ धाम को लेकर पूरी दुनिया में कितना उत्साह है ये आपने बीते महीनों में खुद अनुभव किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि काशी के जागरूक नागरिकों ने जिस तरह देश को दिशा देने वाला काम किया है, उसे देखकर मैं आनंदित हूं। काशी के नागरिकों ने पूरे देश को संदेश दे दिया है कि शॉर्टकट से देश का भला नहीं हो सकता। हां कुछ नेताओं का हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के लोगों ने और मेरी काशी के लोगों ने जो समर्थन दिया, उमंग और उत्साह के साथ मेरा जो साथ दिया। इसलिए मैं आज जब चुनाव के बाद पहली बार आपके बीच आया हूं तो आदरपूर्वक काशीवासियों का, उत्तर प्रदेश के वासियों के धन्यवाद करता हूं।डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में जनसभा से पहले पीएम मोदी ने काशीवासियों को दी 1775 करोड़ की सौगात दी। हर-हर महादेव के उद्घोष के बाद भोजपुरी में भाषण की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सात वार और नौ त्योहार वाले शहर काशी के सभी लोगों को मेरा प्रणाम है।
पीएम मोदी संपूर्णानंद स्टेडियम पहुंचे चुके हैं। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया। इस दौरान सीएम योगी ने कहा, यूपी सरकार के 100 दिन और केंद्र में भाजपा सरकार के आठ साल पूरे होने वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री का हार्दिक स्वागत है। आज पूरी दुनिया देख रही पुरानी काशी और आधुनिक काशी में अंतर। काशी विश्वनाथ धाम ने लिखी विकास की नई ईबारत।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है। हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही। लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया।
आजादी के बाद शिक्षा नीति में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव रह गया था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भी भारत के मूल स्वभाव का हिस्सा नहीं थी और न हो सकती।
नए भारत के निर्माण के लिए नई व्यवस्थाओं का निर्माण, आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश उतना ही जरूरी है। जो पहले कभी भी नहीं हुआ, जिनकी देश पहले कभी कल्पना भी नहीं करता था, वो आज के भारत में हकीकत बन रहे हैं। आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहाँ पहले केवल सरकार ही सब करती थी वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार, शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है। पीएम मोदी ने कहा कि ये समागम आज ऐसे समय हो रहा है, जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत काल में देश के अमृत संकल्पों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था और युवा पीढ़ी पर है।
आगे कहा कि काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं, क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र मार्ग ज्ञान को ही माना गया है। इसलिए शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का मंथन, जब सर्व विद्या के प्रमुख केंद्र काशी में होगा, तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा।