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नगर पालिक निगम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा पीएफ घोटाला वेतन के पड़े लाले

भिलाई:– नगर पालिक निगम भिलाई में विगत वर्षों से भ्रष्टाचार जारी है जो अब चरम सीमा पार कर गया है चाहे साफ-सफाई के नाम से हो, चाहे उद्यान विभाग हो या कर्मचारियों का पीएफ फंड हो जहां भी हाथ डालो वहीं भ्रष्टाचार की बू आ रही हैं। विकास कार्यों के नाम से रोड निर्माण, नाली निर्माण के नाम से सब कुछ ठप है। कागजों फाइलों में तालाब सफाई के नाम से करोड़ों का भुगतान फर्जी कर के निगम की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है। इसके लिए कुछ अधिकारी कर्मचारी जन प्रतिनिधी पूरी तरह खेला- खेल रहे हैं।

जांच के नाम से कई बार समिति बनाई गयी लेकिन उसका कोई सही निष्कर्ष नहीं निकला जांच समिति निगम से हटकर बनायी जाये तो करोड़ों को घोटला समाने उजागर हो जायेगा। यही कारण है कि निगम कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने के लाले पड रहे हैं।
नवनियुक्त आयुक्त से लोगों ने उम्मीद जताई थी कि निगम में सब कुछ ठीक हो जाऐगा लगता है कि आयुक्त निगम की चण्डाल चौकड़ी में फंसते नजर आ रहे हत्रै जिन्हें पूरी तरह से निगग की विभागीय व्यवस्था, राजस्व को लेकर विभाग द्विगभ्रमित किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार विगत माह से कर्मचारियों के वेतन की निर्मित समस्या साफ-सफाई के नाम से फर्जी तरीके से वेतन भुगतान समान खरीदी में कमीशन , उद्यान कर्मचारियों के तीन माह से वेतन भुगतान ठेकेदारी प्रथा से अधिक लेन-देन में कमीशन खोरी भेंट चढ़ गया । उद्यान स्थलो का निरीक्षण किया जाए तो पता लगेगा कि उद्यानों के नाम से क्या कार्य किया जाता है। ये अधिकारियों की मिली भगत से हो रहा है। जिसे फर्जी तरीके से भुगतान को लेकर निगम के राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

निगम कर्मचारियों के वेतन पीएफ में घोटला
निगम कर्मचारियों को पीएफ ईएसआई की राशि विगत सालों से प्रोबिनेट फंड की राशि उनके खाते में नहीं जमा की जा रही है। लगभग हजार कर्मचारियों को लगभग 3 करोड़ राशि नहीं जमा की गयी है। आखिर यह राशि कहा गयी किस मद में खर्च हुआ कोई हिसाब किताब नहीं हैं। भविष्य निधि राशि नियमित कर्मचारियों के खाते में नहीं जमा कर अपराधिक श्रेणी में आता है। इसका कौन जिम्मेदार है? सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
संजय शर्मा कहना है कि निगम कर्मचारी की पीएफ राशि जमा नहीं की जा रही है। इससे कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है। यही नहीं प्रतिमाह दिया जाने वाला वेतन भी नहीं मिला है। इससे 950 कर्मचारियों का करोड़ो का पीएफ को रोक कर भविष्य का खिलावाड़ किया जा रहा है।
साफ-सफाई के नाम से भारी भ्रष्टाचार
साफ-सफाई का ठेका कम्पनी पीवी रमन को दिया गया है। ठेका जिस कंपनी को दिया गया है। क्या वह आर्थिक रचनात्मक कार्य में सक्षम है या पूरी तरह से साफ-सफाई के नाम से दक्ष है। या नाम किसी और का कार्य किसी और का पीवी रमन सिर्फ मोहरा बनाये जाने की भी चर्चा है। इसके नाम से पूर्व में कचरा उठाने वाहन को नाम से भारी वसूली की गयी सफाई के नाम कर्मचारियों की संख्,या भी कम होने के बाद भी राशि अधिकर लेकर हेरा फेरी की गयी ।सफाई के नाम से क्यो एंजेसी को बदला नहीं जा सकता कई सवाल उठ रहे हैं? इसके पीछे सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि का नाम भी चर्चा है जिसे हमेशा बचाया जाता है कर्मचारियों के वेतन भुगतान व ईएसआई राशि का भी बंदर बाट किया गया। जो अभी तक जमा नहीं किया गया। लगतार पीवी रमन ठेका कंपनी के खिलाफ बार-बार शिकायत करने के बाद भी उसी को क्यों ठेका दिया गया हैं?

उल्लेखनीय है कि 2014 में किवार कंपनी का साफ-सफाई का काम नहीं होने पर निगम की करोड़ों रूपए की राशि निकलने पर उनके वाहनों एवं अन्य समाग्री को जब्त कर ब्लैक लिस्ट किया गया था। जो रातो-रात फरार हो गया था। उनके करोड़ों के वाहनों को जब्ती के बाद भी उन वाहनों का अता-पता नहीं है। क्या ये वाहन निजी लोगों के पास जा कर कमाई का जरिया बनाकर फार्म हाउस या अन्य स्थानों पर कार्य कर रहे हैं। वाहन शाखा के पास इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है न किसी अधिकारी की जावबदेही नहीं है। तथ्यों को छुपाया जा रहा हैं।
यही हाल पीवी रमन कंपनी का भी हैं।

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