यूक्रेन को तीन मोर्चो (रूसी सीमा, बेलारूस और डोनबास) से घेरने के बाद रूसी युद्धपोत अब काला सागर में पहुंच रहे हैं। कुछ ही घंटों में रूस के छह युद्धपोत यूक्रेन की जल सीमा के नजदीक होंगे। तीन अन्य भी उसी रास्ते पर हैं। इसके बाद यूक्रेन रूसी सेना से पूरी तरह घिर जाएगा। ये युद्धपोत काला सागर में युद्धाभ्यास करेंगे, वह अभ्यास कितने दिनों चलेगा-यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
रूसी हमला होने की स्थिति में सीमित सैन्य शक्ति वाला यूक्रेन कितनी देर तक रूस की ताकत के आगे टिक पाएगा, इसे लेकर अनुमान लगने शुरू हो गए हैं। विवाद शुरू होने के शुरुआती दिनों में ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को आगाह कर चुके हैं कि हथियारों के लिहाज से रूस दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।
युद्ध रोकने के लिए लगातार सक्रिय फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शांति की अपील की है। बर्लिन पहुंचे मैक्रों ने जर्मनी के चांसलर ओलफ शुल्ज से मुलाकात की है। बर्लिन में जर्मनी के चांसलर और पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा से बातचीत में मैक्रों ने कहा, हमारा साझा उद्देश्य यूरोप को युद्ध से बचाना है।
अमेरिका और रूस दोनों अड़े
नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) और यूरोपीय यूनियन के दो खास देशों-फ्रांस और जर्मनी की कोशिश है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध न भड़के क्योंकि इससे यूरोप के हित प्रभावित होंगे लेकिन वे पुतिन से इस बाबत कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं ले पाए हैं। पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन को नाटो में शामिल न किए जाने का आश्वासन मिले, तब वह अपनी सेनाएं वापस बुलाएं।
बीच का तनाव कम करने के प्रयास में शुल्ज हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलकर लौटे हैं। अगले हफ्ते मास्को जाकर राष्ट्रपति पुतिन से मिलने का उनका कार्यक्रम है जबकि मैक्रों सोमवार को मास्को में पुतिन से मिले थे। बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन पोलैंड पहुंचे और वहां तैनात अपने सैनिकों से मिले।
नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि समय जैसे-जैसे गुजरता जा रहा है, वैसे-वैसे रूसी हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है। रूसी हमला होने की स्थिति में यूरोप को होने वाली प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बाधित होने का खतरा है। अमेरिका के अनुरोध पर जापान ने अपनी गैस यूरोप को भेजने का फैसला किया है।
पोप फ्रांसिस ने रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ रहे तनाव पर एक बार फिर से चिंता जताई है। कहा है कि दोनों देशों के बीच अगर युद्ध होता है तो वह पागलपन होगा। इसमें तमाम निर्दोष लोगों की जान जाएगी और दुनिया की शांति और स्थिरता को खतरा पैदा होगा। इसलिए बातचीत के जरिये समस्या को हल किया जाए।