



नारायणपुर: पूर्व मंत्री और भाजपा नेता केदार कश्यप का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें केदार कश्यप पुलिस और जिला प्रशासन पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए भावुक हो गए हैं। BJP सांसद संतोष पांडेय, पूर्व मंत्री महेश गागड़ा समेत अन्य नेता उन्हें शांत करवाते दिख रहे हैं।
केदार रोते हुए कह रहे हैं कि हम अपनी संस्कृति को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीति नहीं कर रहे। चर्च की तोड़फोड़ के मामले में पुलिस ने निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया है।
सोमवार को हुई इस हिंसक झड़प के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने इस मामले की जांच के लिए एक प्रतिनिधि मंडल का गठन किया था। इस प्रतिनिधि मंडल में सांसद संतोष पांडेय, मोहन मंडावी, पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर, पूर्व मंत्री महेश गागड़ा, केदार कश्यप समेत विधायक शिवरतन शर्मा शामिल थे।
ये सभी नारायणपुर के लिए निकले थे। जिन्हें जिला मुख्यालय पहुंचने से पहले ही बेनूर गांव में प्रशासन ने रोक लिया था। जिसके बाद सभी लोग सड़क पर ही धरने में बैठ गए थे।प्रशासन की इस कार्रवाई को गलत ठहराया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, हमारे लोगों को नंगा करके मारा गया है। हम अपनी संस्कृति और देव स्थल बचाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि इसके लिए मैं आगे आता हूं तो कहा जाता है मैं राजनीति कर रहा हूं।
उन्होंने कहा कि, सरकार आती-जाती रहती है। हम भी 15 साल तक सरकार में थे, लेकिन कभी इस तरह की कार्रवाई नहीं की। हमारे आदिवासियों को घर से निकालकर मारा जा रहा है। उनका जबरदस्ती धर्मांतरण किया जा रहा है। इसे कभी बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
चर्च में तोड़फोड़ और पुलिस जवानों पर हमला करने वाले 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इधर सांसद मोहन मंडावी समेत कई नेता नारायणपुर जाने की मांग कर रहे थे, लेकिन नहीं जाने दिया गया। साथ ही शिवरतन शर्मा, संतोष पाण्डेय,केदार कश्यप, मोहन मंडावी,महेश गागड़ा को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। बीजेपी नेताओं और पुलिस में झूमाझटकी भी हुई है। बाद में सभी नेताओं को मुचलके पर छोड़ दिया गया।
मुख्य मार्ग में करीब 8 घंटे प्रदर्शन करने के बाद भी भाजपा के नेताओं को नारायणपुर जिला मुख्यालय जाने नहीं दिया गया। पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देते हुए सभी को बेनूर में ही रोक लिया था।
मंगलवार की दोपहर करीब 2 बजे से शुरू हुआ यह बवाल रात लगभग 9 बजे तक चलता रहा। इस दौरान भाजपा के नेताओं और प्रशासन के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। आखिरकार भाजपा के 2 सांसद, 2 पूर्व मंत्री, 1 पूर्व गृह मंत्री और 1 विधायक को बैरंग लौटना पड़ा