ब्यूरो आर.जामुर्या
भिलाई। नेचर ग्रीन नामक कंपनी को सफाई का ठेका देकर करोड़ों रुपये के घोटाले , भिलाई निगम द्वारा शहर को साफ-सुथरा रखने निविदा निकाली गई। जिसमें साफ-सफाई पर हर महीने एक करोड़ 90 लाख रुपये का खर्च प्रस्तावित किया। निगम ने नेचर ग्रीन नामक कंपनी को ठेका दिया। जबकि कंपनी के पास न तो लेबर लायसेंस है और न ही छत्तीसगढ़ श्रम विभाग से संबंधित कोई भी दस्तावेज।
इसके बाद भी कुछ अधिकारियों ने मिलीभगत कर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने एवं अपने लाभ के लिए उक्त कंपनी को ठेका दिया गया। मामला उजागर होने के बाद श्रम आयुक्त ने निगम प्रशासन को पत्र लिखकर तत्काल भुगतान रोकने को कहा है।
लेकिन, इसके बाद भी निगम प्रशासन संबंधित कंपनी को लगातार भुगतान कर रहा है। सफाई कर्मचारियों के पीएफ, आइपी एड्रेस से संबंधित कई भ्रष्टाचार लगातार किए जा रहे हैं। ठेके में अनियमितता जारी है। कमीशन के चक्कर में साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला कि गया ।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कचड़ा उठाने को लेकर कई ऐसे ट्रकों को निगम के द्वारा लगाया गया हैं। जिसका आरटीओ विभाग में गाड़ियों का न तो रजिस्ट्रेशन हैं, और न ही नंम्बर प्लेट है न डाला है, जिससे सड़क पर कचड़ा गिरते रहता हैं। इन गाड़ियों के पीछे निगम द्वारा करोड़ों रूपए का भुगतान कर चुका हैं। जबकि निगम प्रशासन चाहता तों इतनी बड़ी राशि भुगतान किये जाने पर नई गाड़ियां निगम खरीद लेता । जिससे जो किराए की बड़ी बचत होती हैं। इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया हैं। यह जांच का विषय हैं?
जांच करने पर सभी जानकारी उजागर हो जायेगी जिस एंजेसी ने मिलीभगत कर पैसे लिए ह,ैं उनसे वसूली की जाए और आर्थिक अपराधिक श्रेणी में आता हैं उस पर कार्यवाही की जाए। जिले कलेक्टर एंव निगम प्रशासक द्वारा सख्त कार्यवाही करने का निर्देशित करें।
उल्लेखनीय हैं कि जिस तरह भिलाई इस्पात संयत्र के भीतर आर टी ओ विभाग द्वारा गाड़ियों की जांच की गई, जिसमें गाड़ियों का राजिस्ट्रेशन जैंसे टैक्स की अनियमिता पाई गई। वैसे भिलाई नगर पालिक निगम में भी वैसी जांच आर.टी.ओ. विभाग द्वारा की जानी चाहिए।
एक स्थानीय पार्षद द्वारा सफाई मुदृदे को लेकर आवाज उठाई तो निगम प्रशासक जागा ,और कारवाई की बात की।
जानकारी के अनुसार निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे ने अधीक्षण अभियंता यूके धलेंद्र कीअध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। जिसमें उपायुक्त नरेंद्र बंजारे और लेखाधिकारी जितेंद्र कुमार ठाकुर को शामिल किया गया है। निगम आयुक्त ने जांच कमेटी को आदेश दिया है कि इस प्रकरण की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।