भिलाई निगम चुनाव में मुद्दे गौण होते दिख रहे हैं। पार्षद चुनाव जीतने के लिए दोनों दल सहित निर्दलीय भी जातिगत समीकरण बनाने में लगे हैं। किस जाति समाज के लोगों का कहां प्रभाव है, इसकी सूची बनाई जा रही है।
राष्ट्रीय दलों ने अपने दल के प्रत्याशियों को जिताने के लिए अब पूरी जोर लगाना शुरू कर दिया है।
जिले के चारों निकायों का चुनाव प्रचंड गति पर पहुंचता जा रहा है। प्रत्याशी दिन रात जनसंपर्क कर रहे हैं। बैनर पोस्टर से वार्ड पट चुके है।
राष्ट्रीय दल के प्रत्याशियों के साथ साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी पूरा जोर लगा रहे हैं। बनते बिगड़ते समीकरण के बीच राजनीतिक दलों द्वारा जाति आधार पर मतदाताओं को साधने के लिए समाज प्रमुखों से संपर्क किया जा रहा है।
कुर्मी समाज, साहू समाज, यादव समाज, सतनामी समाज, पटेल समाज, देवांगन समाज आदि समाजों की अलग -अलग सूची तैयार की जा रही है। किस समाज प्रमुख का कहां प्रभाव है, उससे संपर्क साधा जा रहा है।
पार्षद चुनाव व्यक्तित्व आधारित होता है, पर इस चुनाव में जातिगत समीकरण भी बेहद प्रभावशील होता है। इसलिए सभी दलों ने इसी समीकरण को को ध्यान में रखकर टिकट वितरण किया है।
अब दोनों दलो ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए समाज प्रमुखों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। किस व्यक्ति का किस समाज में ज्यादा प्रभाव है, इसकी सूची बनाई जा रही है।
शुरूआती दौर में विकास की बातें हो रही थी, अब धीरे धीरे विकास का विषय गौण होता जा रहा है, जाति व समाज की बातें सामने आने लगी है। प्रत्याशी इस पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
उन्हें पता है कि आम जनता विकास की बातों को अब सिर्फ आश्वासन मानती है, विश्वास कम करती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा ध्यान अपनी जाति के मतदाताओं को साधने पर दिया जा रहा है।