आखिर वही हुआ जिसकी गूंज राजनीतिक गलियारों में पिछले महीने से ही सुनाई दे रही थी. कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत से कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेदारी ले ली है.
हरीश रावत को भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद की जिम्मेदारी से भी मुक्त किया गया है. हालांकि वह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बने रहेंगे.हरीश रावत की जगह हरीश चौधरी को कांग्रेस का प्रभार सौंपा गया है. तत्काल प्रभाव से उनका कार्यकाल शुरू हो गया है.
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से बयान जारी कर यह जानकारी दी गई है. हरीश चौधरी को पंजाब के अलावा चंडीगढ़ का भी प्रभारी नियुक्त किया गया है. हरीश चौधरी राजस्थान सरकार में मंत्री हैं और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं.
खुद कांग्रेस आलाकमान से आग्रह किया था कि उन्हें पंजाब राज्य के प्रभारी के पद से मुक्त कर दिया जाए. ताकि वह उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 पर ध्यान केंद्रित कर सकें, जो की उनका गृह राज्य है. पर ये बात पूरा सच नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान पंजाब में हुए राजनीतिक ड्रामे के चलते राज्य के प्रभारी हरीश रावत से खुश नहीं था. हरीश रावत कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच हुए विवाद को शांत कराने में असफल रहे.
बल्कि अपनी गलतबयानी से नए विवादों को भी जन्म दे दिया. हरीश रावत ने सिद्धू को कांग्रेस का भविष्य बताकर कैप्टन को नाराज कर दिया.
फिर कहा कि अगला चुनाव कैप्टन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, जिससे फिर सिद्धू का खेमा नाराज हो गया. फिर नए सीएम की नियुक्ति के बाद रावत ने कहा कि अगला चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में होगा.
इसके बाद चन्नी और सिद्धू में तनाव आ गया. हाईकमान को आगे आकर कहना पड़ा कि चुनाव सिद्धू और चन्नी दोनों की अगुवाई में लड़ा जाएगा.
नवजोत सिंह सिद्धू नए सीएम बने चरणजीत सिंह चन्नी के बीज डीजीपी और एजी की नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ था तो रावत पंजाब आना चाहते थे.
लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें पंजाब जाने से रोक दिया गया था। फिर उनकी जगह हरीश चौधरी को पंजाब भेजा गया जिन्होंने आक्रामक हो रहे सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच समझौता कराया.