दुर्ग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की जरा सी लापरवाही से 3 साल की बच्ची की जान जाते-जाते बची। आंगनबाड़ी केंद्र के अंदर कोई है या नहीं यह देखे बिना ही केंद्र में ताला लगाकर दोनों अपने-अपने घर चली गईं।
इस दौरान तीन साल की एक बच्ची केंद्र के अंदर बंद रह गई। वहां रो-रोकर उसका बुरा हाल था। बच्ची को खोजते हुए जब परिजन आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे और किसी तरह बच्ची को बेसुध हालत में वहां से निकाला गया।
परिजनों ने लिटिया सेमरिया पुलिस चौकी पहुंचे और मामले की लिखित शिकायत दी। लापरवाही की ये चारदात धमधा ब्लाक अंतर्गत ग्राम टेमरी की है। यहां के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 में बुधवार को देवांगन परिवार की 3 साल की बच्ची अकेली गई थी। बच्ची वहां खेलती रही और उसे छोड़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका दूसरे काम में लग गईं।
सुबह करीब 10.45 बजे केंद्र पहुंची बच्ची अकेले खेलते-खेलते केंद्र में ही दूसरी तरफ चली गई। जब बच्ची नहीं दिखी तो तो उन लोगों ने सोचा कि शायद वह घर चली गई होगी।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका केंद्र में ताला बंद कर अपने घर चले गए। उधर काफी देर बाद भी जब बच्ची अपने घर नहीं पहुंची तो उसके परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की।
उसकी खोजबीन करते-करते करीब 2 घंटे बीत गया। इस बीच किसी ने परिजनों को बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र के अंदर से किसी बच्ची की रोने की आवाज आ रही थी।
इस पर परिजन ने केंद्र की कार्यकर्ता को बुलाया और जब ताला खोला गया तो बच्ची अंदर बेसुध मिली। बच्ची का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका था। बच्ची के सकुशल मिलने पर परिजनों ने राहत की सांस ली।
परिजनों ने केंद्र में लापरवाही के लिए लिटिया सेमरिया पुलिस चौकी पहुंचकर लिखित में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद जैसे ही यह मामला महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों तक पहुंचा तो संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और मामले में जांच के आदेश भी दिए हैं।