RAIPUR : दीपावली और नव वर्ष के पावन अवसर पर लोग जमकर पटाखे फोड़ते हैं। जिस वजह से पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक बढ़ जाता है।इसी चीज को ध्यान में रखकर हर बार राज्य और केंद्र सरकार पटाखे को लेकर अलगअलग दिशा निर्देश जारी करती रहती है।
देश के कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां पर पूरी तरीके से पटाखे को बैन ही कर दिया गया है। वहां पर केवल आप बिना धुएँ वाले पटाखे ही इस्तेमाल कर पाएंगे।जैसा आप जानते हैं कि नवंबर माह में दीपावली का त्यौहार आने वाला है। इससे पहले ही अब राज्य सरकार अलर्ट मोड में आ चुकी है और उन्होंने पटाखे को लेकर एक दिशा निर्देश जारी किया है।
केंद्र सरकार की तरफ से इस पूरे मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए पालन न करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश भी जारी कर दिया है।इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि दीपावली, छठ पूजा, गुरु पर्व, नए साल के अवसर पर केवल 2 घंटे तक ही पटाखे फोड़ सकेंगे।
बता दें कि राज्य में केवल हरित पटाखों का ही उपयोग एवं विक्रय हो सकेगा। वहीं दीपावली, छठ, गुरू पर्व, नया वर्ष/ क्रिसमस के अवसर पर पटाखों को फोड़ने के लिए दो घंटे की अवधि निर्धारित की गई है।
उच्चतम न्यायालय तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मार्गदर्शिका के मुताबिक पटाखों के उपयोग के संबंध में निर्देशों का कड़ाई से पालन करने जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया है।
इन शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध
रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग, रायगढ़ तथा कोरबा के नगरीय क्षेत्रों में 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक की अवधि में पटाखों का जलाना प्रतिबंधित किया गया है। इन स्थानों पर तक समय पर ही पटाखे चलाए जा सकेंगे।
पटाखे के लिए समय निर्धारित
दीपावली पर रात के 8:00 से लेकर रात के 10:00 बजे के बीच समय निर्धारित किया है। यही समय गुरु पर्व के त्यौहार के लिए भी निर्धारित किया है। वहीं छठ पूजा में आप सुबह 6:00 से लेकर सुबह के 8:00 तक ही पटाखे फोड़ सकेंगे।
हाई कोर्ट की तरफ से सख्त आदेश है कि ऐसे किसी भी तरह का पटाखों का इस्तेमाल न करें जो अधिक मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न करते हों। वहीं कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले पटाखों की बिक्री केवल वही व्यापारी कर सकते हैं, जिनके पास इससे संबंधित लाइसेंस है।
हाई कोर्ट की तरफ से ऐसे निर्माताओं का लाइसेंस भी रद्द करने के निर्देश दिये गये हैं जिनके द्वारा पटाखों में लीथियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी जैसी धातुओ का इस्तेमाल किया जा रहा है।