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डाक्टर की घसीटा राइटिंग बनी जी का जंजाल

रायपुर इलाज के बाद चिकित्सकों द्वारा लिखी जा रही दवाओं की पर्ची मेडिकल संचालकों के लिए जी का जंजाल बन गई है। अधिकतर पर्ची में चिकित्सकों द्वारा लिखे गए दवाओं के नाम सही और साफ अक्षरों में नहीं लिखे होने की वजह से मेडिकल संचालकों को समझने में कठिनायां आ रही हैं।पीड़ितों को गलत दवाएं देने के मामले बढ़ गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मामले को स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, संचालक से लेकर आला अधिकारियों को तो अवगत कराया गया है, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है। मेडिकल दुकान संचालकों के मुताबिक चिकित्सकों द्वारा पर्ची में नाम सही तरह से या साफ अक्षरों में लिखे नहीं होने की वजह से दवाएं देने की दिक्कतें आ रही हैं। बाजार में दो लाख से अधिक ब्रांड की दवाएं उपलब्ध हैं। कई दवाओं के नाम लगभग समान ही होते हैं। थोड़ा बहुत या टूटे-फूटे अक्षरों में लिखा हो समझ आ जाता है, लेकिन कई ऐसी पर्चीयां आतीं हैं, जिनमें दवाओं के बिल्कुल भी समझ नहीं आते हैं। राजधानी में ही हर रोज इन्हीं खामियों के चलते गलत दवाएं देने के 20 अधिक मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में मेडिकल संचालकों के लिए परेशानी खड़ी करने वाली बात हो गई है।स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नियम के अनुसार चिकित्सकों को साफ कैपिटल अक्षरों में दवाओं के नाम लिखकर देने हैं या फिर दवाओं के नाम प्रिंट कराकर देना जरूरी है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में यदि शिकायत होती है तो दोषियों पर कार्रवाई करने का प्रावधान है। नियम के तहत पहले समझाकर फिर गंभीरता को देखते हुए लाइसेंस रद, अर्थ दंड समेत अन्य कार्रवाई की जा सकती है।

पर्ची में दवाओं के नाम साफ अक्षरों में लिखना अनिवार्य है। शिकायत मिली है। नियम के अनुसार चिकित्सकों को साफ अक्षरों में दवाओं के नाम या अन्य जानकारियां लिखनी हैं या प्रिंट कराकर देना है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है और पर्ची के दवाएं गलत दी जाती हैं तो चिकित्सक के ऊपर ही कार्रवाई होगी।

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