रायपुर बुधवार से धान खरीदी शुरू हुई। खरीदी केंद्रों में पहुंचने वाले किसानों की तिलक-आरती कर इसका शुभारंभ किया गया। सरकार ने इस खास मौके पर किसानों को सौगात भी दी है। उन्हें पुराने बारदाने के अब 18 की जगह 25 रुपये दिए जाएंगे। प्रदेश के अलग-अलग धान खरीदी केंद्रों पर मंत्री, विधायक और मुख्य सचिव पहुंचे और पूजा-पाठ के साथ धान खरीदी प्रारंभ कराई।
इस वर्ष लगभग 105 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी होने का अनुमान है। खरीफ वर्ष में लगभग 22.66 लाख पंजीकृत किसानों से दो हजार 399 सहकारी समितियों के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है। किसानों-ग्रामीणों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शासन ने 88 नए धान खरीदी केंद्र भी शुरू किए हैं।
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया ने मंदिर हंसौद स्थित खरीदी केंद्र का निरीक्षण किया। भगत ने मीडिया से चर्चा में कहा कि केंद्र सरकार बारदाना नहीं दे रही है, इसलिए संकट आएगा। राज्य सरकार इससे निपटने में सक्षम है।
जल्द ही बारदाने के संकट को खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि धान खरीदी किसानों का सबसे बड़ा त्योहार है। देश के किसी भी राज्य में 2,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदी नहीं हो रही है।मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने रायपुर के जरोदा और बंगोली उपार्जन केंद्र पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने धान बेचने आए किसानों का फूल-मालाओं से स्वागत किया।
पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने खुद धान तौलकर खरीदी की शुरुआत की। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 31 जनवरी तक और मक्का खरीदी 28 फरवरी तक चलेगी। धान खरीदी व्यवस्था के सुचारू और पारदर्शी संचालन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए किसानों को अपने बारदाने में धान लाने की छूट राज्य शासन द्वारा दी गई है। स्वयं के बारदाने में लाए गए धान की खरीदी के साथ उन्हें पुराने बारदाने के बदले में पहले 18 रुपये का भुगतान होना था।
मुख्यमंत्री भूपेश्ा बघेल के निर्देश पर इसे बढ़ाकर 25 रुपये कर दिया गया है।राज्य सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी धान खरीदी केंद्र का दौरा करेंगे और वहां की व्यवस्था का जायजा लेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी सर्वाेच्च प्राथमिकता का कार्य है। किसानों को धान बेचने में किसी भी तरह की दिक्कत न आए, यह सुनिश्चित होना चाहिए।
राज्य शासन के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को आकस्मिक रूप से धान खरीदी केंद्रों का मुआयना करना चाहिए। किसानों से बातचीत कर व्यवस्था को और बेहतर बनाने का प्रयास लगातार किया जाना चाहिए।