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मैसूर जू प्रबंधन ने जंगल सफारी से मांगीं बाघिन

नवा रायपुर स्थित जंगल सफारी के जू में मैसूर के 150 साल पुराने जू से जंगली कुत्ते लाए जाएंगे। कुत्तों के बदले में मैसूर जू प्रबंधन ने मादा लायनेस की मांग की थी।

जंगल सफारी प्रबंधन ने शुक्रवार को मादा लायनेस यहां से भेज दी है। सफारी की जो टीम यहां से मादा लायनेस लेकर गई, वही टीम जंगली कुत्ते लेकर आएगी। जंगली कुत्तों के आने के बाद जू के सभी नए 10 बाड़ों के लिए वन्य प्राणी उपलब्ध हो जाएंगे।

उसके बाद नए बाड़ों के वन्य प्राणी भी पर्यटक देख सकेंगे। वन विभाग के अफसरों के अनुसार जंगली कुत्तों के लिए देश के कई राज्यों के जू में संपर्क किया गया, लेकिन सभी की मांग अलग-अलग थी। मैसूर जू प्रबंधन ही इसके लिए राजी हुआ है। नवा रायपुर के जू में अभी 18 बाड़ों में अलग-अलग वन्य प्राणी हैं। 10 नए बाड़े भी तैयार हो गए हैं। इन बाड़ों के लिए अलग-अलग वन्य प्राणी मंगवाए जा चुके हैं।

कुछ वन्य प्राणी छत्तीसगढ़ के अलग-अलग बाग या जू में थे। उन्हें यहां शिफ्ट कर लिया गया है। ऐसे वन्य प्राणी जो राज्य में उपलब्ध नहीं थे, उन्हें दूसरे राज्यों से मंगवाया गया है। इनमें वाइल्ड डॉग यानी जंगली कुत्ता भी शामिल है। इसके पहले एक सिंह के बदले मैसूर के जू से ही भेड़िए का एक जोड़ा और गौर का एक जोड़ा लाया जा चुका है।

भेड़िया और गौर भी मैसूर के उसी जू से लाया जहां से अभी जंगली कुत्ता मंगवाया जा रहा है। वन विभाग के अफसरों के अनुसार सभी वन्य प्राणियों को बाड़ों में शिफ्ट करने के बाद इस माह के अंत तक उनका औपचारिक उद्घाटन कर दिया जाएगा। नए साल से पर्यटक नए बाड़ों के वन्य प्राणियों को भी देख सकेंगे।

नए बाड़ों में ये वन्य प्राणी देखने को मिलेंगे
जू के शुरू होने वाले नए बाड़ों में सफेद धब्बे वाले हिरण, चिंकारा, सांभर, कबरबिज्जू, स्याही, जंगली कुत्ता, गौर, भेड़िया और पेंगोलिन देखने को मिलेंगे। अभी जंगल सफारी के 18 बाड़ों में सिंह, बाघ, सफेद बाघ, दरियाई घोड़ा, मगरमच्छ, तेंदुआ,

भालू, लोमड़ी, मॉनीटर लिजॉर्ड यानी गोह, कछुआ, सांप, घड़ियाल, काले हिरण, कोटरी, बारहसिंगा हैं। नए बाड़ों के उदघाटन के बाद इनकी संख्या 28 हो जाएगी। पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा वन्य प्राणी देखने को मिलेंगे।

सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियमों के अनुसार जू में उन्हीं वन्य प्राणियों को रखा जा सकता है, जो पहले से जू में हैं। जंगल से पकड़कर किसी भी वन्य प्राणी को जू में नहीं रखा जा सकता। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के कई जंगलों में गौर और वाइल्ड डॉग बड़ी संख्या में मौजूद है।

बार नवापारा अभयारण्य में तो गौर इतनी संख्या में हैं कि शाम के समय झुंड के झुंड दिखाई देते हैं। इसके बावजूद जंगल सफारी के जू में जब वाइल्ड डॉग और गौर की जरूरत पड़ी तो उसे मैसूर से मंगवाया जा रहा है। सीधे जंगल से पकड़कर जू में नहीं रखा जा रहा है।

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