सेनारी नरसंहार मामले में पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद करते हुए दोषी ठहराए गए 13 लोगों को तुरंत रिहा करने का आदेश दे दिया है। इसी मामले में 15 नवंबर 2016 को जहानाबाद की जिला अदालत ने 10 दोषियों को फांसी और तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी फैसले को पटना हाईकोर्ट ने रद कर दिया। पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह व अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में यह फैसला सुनाया है। निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया। वहीं दोषी द्वारिका पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।
बता दें कि 18 मार्च 1999 की रात जहानाबाद के सेनारी गांव में 34 लोगों के हाथ-पांव बांधकर उनका गला रेत दिया गया था। हत्याकांड की चर्चा ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं। सेनारी नरसंहार में प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को शामिल माना गया था। एमसीसी के सैकड़ों लोगों ने 18 मार्च 1999 की रात सेनारी गांव की घेराबंदी कर चुन-चुन कर एक जाति विशेष के पुरुषों को घरों से निकाला था। उन्हें गांव के ही ठाकुरबाड़ी मंदिर के पास ले जाने के बाद नरसंहार को अंजाम दिया। इस दौरान 34 लोगों को बांधकर उनका गला काट दिया गया था। निचली अदालत ने मामले में आरोपितों को पहले ही बरी कर दिया था। वारदात के बाद चल रही सुनवाई के दौरान चार आरोपितों की मौत भी हो गई थी।