यूक्रेन के साथ जारी तनाव के बीच रूस ने यूक्रेन से लगी बेलारूस की सीमा के पास एस-400 मिसाइल सिस्टम को भी तैनात किया है। इसके साथ दोनों देशों के साथ तनाव चरम पर पहुंच गया है। उधर, इस तनातनी के बीच अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो ने शरणार्थी संकट पैदा होने की गंभीर चेतावनी दी है। नाटो ने कहा है कि इस तनाव के कारण 20 लाख लोगों के विस्थापित होने का खतरा है।
नाटो ने कहा कि शीत युद्ध के खत्म होने के बाद बेलारूस में रूसी सेना की अबतक की सबसे बड़ी तैनाती है। इसके लिए रूस के पूर्वी सीमा पर मौजूद सैनिकों को पश्चिम में स्थित बेलारूस भेजा जा रहा है।बेलारूस में तैनात रूसी सैनिकों की तैनाती को सबसे खतरनाक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कूटनीतिक दबाव की अंतिम सीमा है। हालांकि, उन्होंने इसके बावजूद युद्ध की आंशका से इन्कार किया है।
उनका मानना है कि हालांकि बेलारूस के जरिए रूसी सेना काफी तेजी से राजधानी कीव पर नियंत्रण कर सकती है। प्रो पंत ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में होने वाले सैन्य अभ्यास को हमले के लिए कवर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंनें कहा कि अगर पूरे क्षेत्र में हिंसा होती है तो एक बड़ा मानवीय संकट होगा।
लेबर पार्टी के पूर्व राजनेता हैं व नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के महासचिव जान एगलैंड ने यूक्रेन का दौरा करने के बाद एक बयान में कहा कि पूर्वी यूक्रेन में लाखों लोगों का जीवन और सुरक्षा अधर में लटकी हुई है।
इसके बावजूद हम मौजूदा गतिरोध के लिए एक राजनीतिक सफलता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने भविष्यवाणी की कि यदि रूस अन्य पूर्वी क्षेत्रों पर हमला करता है तो 20 लाख लोग बेघर हो जाएंगे। पूर्वी डोनबास क्षेत्र में लड़ाई पहले ही लगभग 850, 000 लोगों को विस्थापित कर चुकी है।
दुनिया के कई देश इस मतभेद को लेकर लामबंद हो रहे हैं। प्रो. पंत ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी सैन्य टकराव का असर पश्चिमी देशों के साथ दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है।
रूस यूरोप में गैस की आपूर्ति में कटौती कर सकता है। इसका असर तेल की कीमतों पर पडे़गा। यूक्रेन का डोनबास इलाका जो रूस और यूक्रेन बीच विवाद में सबसे अहम है और यहां का सबसे बड़ा रिजर्व है।
ऐसी स्थिति में रूस चीन के साथ तेल और गैस बेचने की बात करेगा। इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार प्रभावित होगा और तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।