उत्तराखंड: जोशीमठ में हालात बिगड़ते चले जा रहे हैं. भू-धंसाव के चलते तमाम घरों और होटलों में दरारें पड़ गई हैं. प्रशासन ने असुरक्षित जोन घोषित किए हैं. ऐसे में जो घर और इमारतें सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, उन्हें जमींदोज करने का काम आज शुरू हो रहा है. बताया जा रहा है कि सबसे पहले होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ढहाया जा सकता है. इन होटलों को खाली करा दिया गया है. बताया जा रहा है कि दरार पड़ने के चलते होटल लगातार पीछे की ओर झुकते जा रहे हैं. प्रशासन की ओर से अनाउंसमेंट किया जा रहा है कि लोग होटलों से दूर हो जाएं.
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट जोशीमठ पहुंचे. उन्होंने आर्मी कैंप का निरीक्षण करने के बाद सुनील वार्ड में प्रभावित लोगों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि केन्द्र और राज्य सरकार इस प्राकृतिक आपदा से लोगों को निकालने का काम कर रही है. होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने बताया कि इसे 2011 में बनाया गया था. इस दौरान नक्शा भी पास कराया गया था. होटल मालिक का दावा है कि 2011-2022 तक आजतक किसी ने नहीं बताया कि यह भूमि आपदा क्षेत्र में है. मालिक के मुताबिक, जोशीमठ नगर पालिका की इजाजत लेकर होटल बनाया गया था. लेकिन अब बिना नोटिस के होटल को ढहाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे .
जोशीमठ में सोमवार शाम तक नौ वार्ड के 678 मकानों की पहचान हुई है, जिनमें दरारें हैं. सुरक्षा की नजर से दो होटल को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बंद किए गए हैं. 16 जगहों पर अब तक कुल 81 परिवार ही विस्थापित किए जा चुके हैं. जोशीमठ में सरकार का दावा है कि अब तक 19 जगहों पर 213 कमरे में 1191 लोगों के ठहरने की व्यवस्था बनाकर रखी है. लेकिन जोशीमठ की जनता को स्थापित से विस्थापित होने के दर्द के बीच सरकार के दिए भरोसे में भी दरार नजर आती है.
सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. जोशीमठ के मामले पर 16 जनवरी के लिए मामले को लिस्ट किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर केस की जल्द सुनवाई नहीं हो सकती. इन मामलों के लिए लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं, जो काम कर रही हैं.
होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि उन्हें प्रशासन की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला. उन्होंने कहा कि मैं जनहित में अपने होटल को गिराए जाने के सरकार के फैसले के साथ हूं. लेकिन मुझे इससे पहले नोटिस मिलना चाहिए. होटल का मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
ढहाने की तैयारियां शुरू हो गई है. होटल के पास बुलडोजर और ट्रक पहुंच गए हैं. आस पास के घरों को खाली करा दिया गया. प्रशासन ने घरों, दुकानों को खाली करने का अनाउंसमेंट कराया. इसके साथ ही एसडीआरएफ की टीम मौके पर मौजूद है. होटल के पास लगे लाइट के तार हटाए जा रहे हैं.
सुरक्षित स्थान पर ले जाए जा रहे लोग
कई रिहायशी इलाकों के लोग घर खाली करके जा चुके हैं. बहुत सारे लोग अभी भी सामान समेट रहे हैं. ये लोग जोशीमठ छोड़कर जाने की तैयारी में हैं. ऊपरी इलाकों में रहने वाले कुछ परिवार अपना सामान लेने के लिए वापस आए हैं. परिवारों का कहना है, घर के अलावा खेती की जमीन भी छोड़ कर जाना पड़ रहा है. अब उनके सामने परिवार और बच्चों के भविष्य की चिंता है.
एनडीआरएफ और विशेषज्ञों की टीम दोनों होटलों का मुआयना कर रही है. दोनों होटल पीछे की तरफ झुक रही हैं. जमीन धंसने के कारण दोनों होटल आपस में टकरा गए हैं. होटल्स की वजह से परिसर के पीछे बने 8-10 घरों के लिए खतरा पैदा हो रहा है. माना जा रहा है कि इन्हें ढहाने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है. जोशीमठ डीएम हिमांशु खुराना ने बताया कि हमने असुरक्षित जोन घोषित किए हैं. वहां से लोगों को निकालने का सिलसिला जारी है, ज्यादातर लोगों को निकाल लिया गया है. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की टीम यहां आ रही है. उनके दिशानिर्देश पर असुरक्षित घरों को ध्वस्त किया जाएगा.
चमोली जिले में जोशीमठ शहर स्थित है. यह समुद्र तल से 6,107 फीट की ऊंचाई पर बसा है. इसकी आबादी 23000 है. इसे बद्रीनाथ का मुखद्वार भी कहा जाता है. यहां भूधंसाव के चलते अब तक 678 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं. इतना ही नहीं कई जगहों पर सड़क फट गई है. जमीन के नीचे से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है.