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सांप से सास का मर्डर, यकीन करना भी मुश्किल

सांप के काटने से हर साल भारत में हजारों लोगों की मौत होती है। इसे हादसा माना जाता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया, जिसमें किसी की हत्या के लिए जहरीले सांप का इस्तेमाल ‘हथियार’ के तौर पर किया गया। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एक बुजुर्ग महिला की हत्या के लिए जहरीले सांप का इस्तेमाल ‘हथियार’ के तौर पर करना ‘जघन्य अपराध’ है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान से जुड़े इस मामले में आरोपी को जमानत देने से इनकार किया। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोली की बेंच के सामने यह अनोखा केस आया था।

एक महिला कि शादी एक आर्मी मैन से हुई थी जो अपने गृह जिले से दूर तैनात था। महिला नियमित तौर पर अपने आशिक के साथ फोन पर बात किया करती थी जिसका उसकी सास विरोध किया करती थी। महिला के ससुर भी नौकरी के सिलसिले में अपने गृह जिले से बाहर रहते थे। सास की डांट-फटकार से आजिज आकर महिला ने खौफनाक साजिश रच दी। ऐसी साजिश जो हादसा लगे और किसी को उस पर शक न हो।

महिला ने अपने आशिक और उसके दोस्तों के साथ मिलकर झुनझुनु जिले के एक संपेरे से जहरीले सांप का इंतजाम किया। सांप को एक बैग में डाला गया। 2 जून 2018 की रात को महिला ने सांप वाले बैग को अपनी सास के पास रख दिया। सुबह बुजुर्ग महिला मृत पाई गई। जिस अस्पताल में उसे ले जाया गया उसने इसे सर्पदंश से मौत का मामला बताया।

राजस्थान और दूसरे राज्यों में सर्प दंश से मौत सामान्य बात है। झुनझुनु पुलिस भी इसे वैसा ही एक सामान्य हादसा मानकर चल रही थी। लेकिन पुलिस का माथा तब ठनका जब उसने पाया कि घटना वाले दिन मृत महिला की बहू और एक शख्स के बीच 100 से ज्यादा बार फोन पर बातचीत हुई। यह भी पता चला कि ये दोनों लंबे समय से एक दूसरे से फोन पर संपर्क में थे। वह शख्स कोई और नहीं, मृत महिला की बहू का आशिक था।

महिला, उसके आशिक और आशिक के एक दोस्त को गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं, पूछताछ के आधार पर पुलिस उस संपेरे तक भी पहुंच गई जिसने इस हत्या में ‘हथियार’ मुहैया कराया था। संपेरा इस केस में गवाह बन गया और उसने मैजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिया कि महिला के आशिक के कहने पर उसने सांप की व्यवस्था की थी।

महिला के आशिक की तरफ से एडवोकेट आदित्य कुमार चौधरी ने सीजेआई की अगुआई वाली बेंच के सामने दलील दी कि उनका मुवक्किल क्राइम सीन पर मौजूद नहीं था। वकील ने दलील दी, ‘उसे कैसे साजिश का हिस्सा माना जा सकता है जब यह किसी को नहीं पता कि सांप किसको काटेगा? किसी कमरे में सिर्फ जहरीले सांप को छोड़ने का यह मतलब नहीं है कि सांप को पता है कि उसे किसे काटना चाहिए। पुलिस ने कॉल रेकॉर्ड की विश्वसनीयता की जांच नहीं की। मेरा मुवक्किल एक साल से ज्यादा वक्त से

इस पर बेंच ने कहा, ‘राजस्थान में हत्या के लिए किसी जहरीले सांप का इस्तेमाल करना बहुत सामान्य है। आपने एक जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए बहुत ही नया तरीका अपनाया। आप कथित तौर पर इस साजिश का हिस्सा थे और संपेरे के जरिए आपने हत्या में इस्तेमाल हथियार (सर्प) की व्यवस्था की। आप इस स्टेज में जमानत पर रिहा करने के लायक नहीं हैं।’

दुनियाभर में हर साल सर्प दंश की करीब 50 लाख घटनाएं होती हैं जिससे करीब 1 लाख मौतें होती हैं। इनमें से तकरीबन आधी मौतें भारत में होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2000 से 2019 के बीच सर्प दंश से मौतों की आनुमानित संख्या 12 लाख है। यानी हर साल औसतन 58 हजार लोगों की सांप काटने से मौत।

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