एक नए मामले सियासत शुरू हो गई है. नवा रायपुर विकास प्राधिकरण ने यूनियन बैंक से कर्ज लेकर रिटेल कॉम्पलेक्स बनाया है लेकिन बैंक का कर्ज नहीं चुकाने पर यूनियन बैंक ने प्रॉपर्टी अपने कब्जे में ले लिया है. इसपर कांग्रेस और बीजेपी के नेता आमने- सामने आ गए है.
यूनियन बैंक ने एक नोटिस प्रकाशित करवाया है. इसके अनुसार एनआरडीए को 2 अगस्त 2021 को एक डिमांड नोटिस जारी किया गया था. इसमें एनआरडीए को 317 करोड़ 79 लाख 62 हजार 793 रुपए के साथ ब्याज कानूनी शुल्क के साथ जमा करने की मांग की गई थी.
बैंक ने राशि चुकाने के लिए 60 दिनों का समय दिया था लेकिन एनआरडीए कर्ज की राशि नहीं चुका पाया इसलिए 12 जनवरी को नवा रायपुर के कयाबंधा और बरौदा गांव की 2.659 हेक्टेयर जमीन पर बने कॉम्पलेक्स को बैंक ने अपने कब्जे में लिया.
इस मामले विपक्ष आक्रामक तेवर में नजर आ रहा है. पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए बयाना दिया है. डॉ रमन सिंह ने कहा कि, ये है गर्त में जाता कांग्रेस का ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’. आज कर्ज न चुकाने पर बैंक नया रायपुर की सरकारी संपत्तियों को कब्जे में ले रहा है. कल भूपेश बघेल सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन और कर्ज लो घी पियो की आदत से विधानसभा, मंत्रालय, चौक-चौराहे के साथ छत्तीसगढ़ महतारी गिरवी हो जाएगी.
प्रदेश के आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने इसके लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. मंत्री मोहम्मद अकबर का ने बताया कि रिटेल कॉम्पलेक्स की दर रायपुर शहर की हॉट प्रॉपर्टी से अधिक है. बिना आबादी और बाजार वाले शहर में इतनी प्रॉपर्टी कोई नहीं खरीद रहा है .
मंत्री अकबर ने रमन सिंह के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि, नवा रायपुर में मांग के आकलन और सर्वे किए बगैर निवेश करने और अत्यधिक लागत में निर्माण के लिए पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय की वजह से ये स्थति बनी है. इसके लिए पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ही जिम्मेदार है.