तमिलनाडु से छत्तीसगढ़ के 11 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है। इनमें 2 बालक समेत 9 बालिकाएं हैं। ये सभी 11 बच्चे छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अलग-अलग गांवों के रहने वाले हैं। सभी मजदूरी करने के लिए तमिलनाडु गए थे।
तमिलनाडु में रेलवे पुलिस ने लगभग 3 महीने पहले सभी का रेस्क्यू किया था। लेकिन, 2 राज्यों के बीच फंसी कागजी कार्रवाई और ट्रेन नहीं चलने की वजह से उन्हें छत्तीसगढ़ नहीं ला पाए थे। बुधवार को तमिलनाडु प्रशासन की 8 सदस्यीय टीम सभी को कांकेर लेकर पहुंची। जहां इन बच्चों को कांकेर जिला प्रशासन के सौंपने की कार्रवाई चल रही है।
बताया जा रहा है कि तीन महीने पहले जब ये सारे बच्चे ट्रेन से तमिलनाडु के सेलम जिला के हिरोंदा रेलवे जंक्शन पहुंचे तो रेलवे पुलिस को इन पर शक हुआ। पुलिस ने सभी बच्चों से पूछताछ की। बच्चों ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, भनुप्रतापपुर समेत अन्य आसपास के गांव के रहने वाले हैं। 300 रुपए रोजी के हिसाब से पोल्ट्री फार्म, बोरवेल गाड़ी समेत अन्य जगहों पर मजदूरी का काम करने के लिए जा रहे थे। ये सभी बच्चे एजेंट के जरिए पहुंचे थे। लेकिन वो एजेंट कौन है, पुलिस यो ये पता नहीं चल सका है।
बच्चों ने जब अपना नाम और पता बताया तो तमिलनाडु प्रशासन ने छत्तीसगढ़ के कांकेर प्रशासन को सभी नाबालिगों की जानकारी दी। बच्चों के बताए अनुसार कांकेर की CWC की टीम गांव पहुंची। बच्चों के परिजन से मुलाकात कर सारी जानकारी जुटाई। जब 11 बच्चों के मजदूरी के काम के लिए तमिलनाडु जाने की पुष्टि हुई तो CWC ने इसकी जानकारी फौरन तमिलनाडु प्रशासन को दी। जिसके बाद दोनों राज्यों के बीच बच्चों को वापस लाने की कागजी कार्रवाई शुरू हुई थी।
कांकेर जिले की बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया ने बताया कि 2 बालक बोरवेल गाड़ी में काम करने जा रहे थे और एक बालिका से अभी बात हुई है वो पोल्ट्री फार्म में काम करने के लिए जा रही थी। अन्य की काउंसलिंग चल रही है। काउंसलिंग होने का बाद ही पूरा खुलासा होगा। फिलहाल एजेंट और जिस कंपनी में ये लोग काम करने जा रहे थे, इसका पता नहीं चला है। जांच की जा रही है। कुछ पता चलेगा तो निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।