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सत्यानाशी पौधे के रस का सेवन से नपुंसकता हो जाएगी दूर, डायबिटीज, पीलिया, यूरिन प्रॉबल्म में भी कारगर

HEALTH TIPS : ‘सत्यानाशी’ एक ऐसा शब्द है, जिसको सुनकर दिमाग में सब कुछ नाश करने वाले की छवि उभरती है. अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल नकारात्मक संदर्भ में ही किया जाता है. लेकिन, क्या आपको पता है कि इस नाम का एक पौधा पाया जाता है, जो पुरुषों के लिए वरदान माना जाता है. जी हां ! दरअसल आयुर्वेद की दुनिया में अनगिनत औषधीय पौधों का जिक्र है. जिनके इस्तेमाल से इंसान हर मौसम में चुस्त-दुरुस्त रह सकता है. इन्हीं पौधों में से एक है सत्यानाशी. इस पौधे का इस्तेमाल मर्दाना कमजोरी, मधुमेह, पीलिया, पेट का दर्द, खांसी और यूरिन समस्या सहित दर्जनों रोगों का नाश करता है.

 तोड़ने पर निकलता है पीले रंग का दूध
आयुर्वेदाचार्य की माने तो, मुख्य रूप से यह पौधा हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है, लेकिन समूचे भारत में सड़कों के किनारे शुष्क क्षेत्रों में भी इसे देखा जाता है. इस पौधे पर कांटे अधिक होते हैं और इसके फूल पीले रंग के होते हैं. फूलों के अंदर श्यामले रंग के बीज होते हैं. सत्यानाशी को स्वर्णक्षीरी नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसको तोड़ने पर पीले रंग का दूध निकलता है.

इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-डायबिटीक, एनाल्जेसिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सिडेंट जैसे कई गुणकारी तत्व पाए जाते हैं. आयुर्वेद में इसके इस्तेमाल के बारे में बताया गया है. जिसमें सत्यानाशी का दूध, पत्ते के रस, बीज के तेल, पत्तियों का लेप जैसे कई अन्य तरीकों से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

खांसी में असरदार

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि सत्यानाशी का पौधा पुरानी से पुरानी खांसी को दूर करने में कारगर होता है. इसके लिए इस पौधे की जड़ों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीएं. कुछ ही दिनों में आपको खांसी से छुटकारा मिल जाएगा.

यूरिन प्रॉबल्म

किसी व्यक्ति को अगर पेशाब यानी यूरिन से रिलेटेड परेशानियां जैसे की जलन आदि हो, तो ऐसे व्यक्ति को सत्यानाशी के पौधे का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए. इसके सेवन से जल्द ही यूरिन से संबंधित परेशानी दूर हो जाती हैं.

डायबिटीज में फायदेमंद

सत्यानाशी का पौधा ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने का काम करता है. इसके लिए आप इसके पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

नपुंसकता में कारगर

नपुंसकता कई कारणों से हो सकती है. जिसमें से शुक्राणुओं की कमी को सबसे मुख्य कारण बताया गया है. सत्यानाशी में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का गुण होता है. इसलिए अगर आप शुक्राणुओं की कमी के कारण निःसंतान हैं, तो इसका इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद है. इसके लगातार सेवन से महज 21 दिनों में नपुंसकता समाप्त हो सकती है.

स्किन को निखारने के लिए
सत्यानाशी के पौधे में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिससे त्वचा पर जो भी बैक्टीरिया से संबंधित परेशानियां होती हैं, उनसे छुटकारा मिलता है.

पीलिया में मददगार
पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी के लिए भी सत्यानाशी का पौधा रामबाण इलाज है. अगर किसी व्यक्ति को पीलिया हो गया है, तो उसे सत्यानाशी के तेल में गिलोय का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए. इससे पीरिया जड़ से खत्म हो जाता है.

(नोट इसका उपयोग करने से पहले डाक्टर की सलाह जरुर ले, नहीं तो दुष्परिणाम हो सकते हैं)

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