अमेरिकन वाशिंगटन डीसी पहुचेंगे. कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी के इस दूसरे विदेशी दौरे का भारत-अमेरिका सहयोग और वैश्विक सामरिक रणनीति को एक नया आयाम दे सकता है.
जहां तक भारत और अमेरिका की बात है, पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के बीच 24 सितंबर को होने वाली बातचीत काफी अहम मानी जा रही है. सूत्रों के अनुसार भारत और मोदी सरकार की नीति साफ है. दोनों देशों के बीच संबंध एक सतत है न कि व्यक्ति विशेष को ध्यान में रखकर.
2014 से देखा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी का बराक ओबामा (Barack Obama) से काफी अच्छे संबंध रहे. 2015 में ओबामा, गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आए थे और प्रधानमंत्री ने उन्हें अपना दोस्त और ओबामा कहकर बुलाया भी था. डेमोक्रैट होकर भी ओबामा ने दक्षिण एशिया और वैश्विक स्तर पर भी काफी तरजीह दी थी.
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति बाइडन और पीएम मोदी के बीच अफगानिस्तान और आतंकवाद पर बातचीत होगी. पाकिस्तान की अफगानिस्तान में बढ़ती भूमिका पर चर्चा हो सकती है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच सामरिक रिश्ते पर भी बातचीत हो सकती है.
जानकारों का मानना है कि अमेरिका चाहता है कि दक्षिण एशिया में उसके जंगी जहाजों के लिए एक नया ठिकाना मिले. उसके बदले भारत को भी ऐसी सहूलियतें हिन्द या प्रशांत महासागर में दिया जा सकता है.
अफगानिस्तान के बदले हालात के बाद चीन और इस पूरे इलाके पर नजर बनाए रखने के लिए, अमेरिका एक भरोसेमंद दोस्त के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहता है. हालांकि इसके बारे में अभी तक किसी ने भी कुछ खुलासा नहीं किया है.
अमेरिकी दौरे के अंतिम पड़ाव में पीएम मोदी 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करेंगे. सूत्रों के अनुसार पीएम का संबोधन एक वैश्विक नेता की तरह होगा. उनके संबोधन में कोरोना और वैक्सीन का जिक्र होगा. जिस तरह से भारत ने कोरोना दवा और वैक्सीन मित्र के जरिए सैकड़ों देशों को राहत पहुंचाई है, उसका जिक्र होगा पीएम मोदी के संबोधन में मिलेगा.
जलवायु परिवर्तन पर विश्व के देशों को एक सामूहिक नीति पर चलने की अपील हो सकती है. इसके अलावा प्रधानमंत्री अपरोक्ष रूप से पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए आतंकवाद की लड़ाई में सबको साथ आने को कह सकते हैं.
पीएम मोदी अफगानिस्तान के बदले हालात और विस्तारवाद को एक नए खतरे से आगाह भी कर सकते हैं.