



तिरुवनंतपुरम: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की ऐतिहासिक जीत में केरल से उन्हें मिले एक वोट का भी योगदान है. हालांकि, इस वोट के कारण केरल के राजनीतिक खेमों में खलबली मच गई है. इसकी वजह ये है कि 140 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कोई विधायक नहीं है. देश के कई राज्यों में मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग के बीच केरल से मिले इस अनपेक्षित वोट को लेकर भाजपा ने खुशी जताई है.
केरल की विधानसभा में बीजेपी की गैरमौजूदगी से संभावना जताई जा रही थी कि राष्ट्रपति चुनाव में राज्य के सारे वोट विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मिलेंगे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) ने सिन्हा को समर्थन देने की घोषणा भी की थी.
विधायी सचिव इंचार्ज कविता उन्नीथन, जो रिटर्निंग अफसर भी थीं, उन्होंने बताया कि चूंकि राष्ट्रपति चुनाव में मतदान सीक्रेट बैलट के जरिए हुआ था. इसलिए ये पता लगाना संभव नहीं है कि राज्य विधानसभा में किसने मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. राजनीतिक पर्यवेक्षक अब यह सवाल भी उठा रहे हैं कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार को यह एक वोट गलती से दिया गया था या जानबूझकर.
वहीं, भाजपा की राज्य इकाई ने इस अनपेक्षित वोट को लेकर खुशी जाहिर की है. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू को जो एक वोट केरल से मिला है, उसका अन्य 139 मतों से अधिक महत्व है. यह नकारात्मकता के खिलाए एक ‘‘सकारात्मक वोट’’ है.
गौरतलब है कि मुर्मू ने विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर आदिवासी समुदाय से पहली राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है. मतगणना में मुर्मू को 64 प्रतिशत से अधिक वैध मत प्राप्त हुए. सत्तारूढ़ भाजपा का दावा है कि संसद के दोनों सदनों के 17 सांसदों और राज्यों के 126 विधायकों ने संबंधित पार्टी लाइनों को नजरंदाज करते हुए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया.