कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो चुके बेसहारा बच्चों के निशुल्क शिक्षा के लिए शासन ने छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना आरंभ की है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए तथा इसका लाभ बेसहारा बच्चों तक पहुंचाने के लिए आज कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। कलेक्टर ने कहा कि कोरोना आपदा में अपने माता-पिता या आजीविका अर्जित करने वाले माता अथवा पिता को खोने वाले बच्चों की निशुल्क शिक्षा की जिम्मेदारी का वहन शासन द्वारा किया जाएगा। इसके लिए ऐसे बच्चों को चिन्हांकित करना तथा इन्हें महतारी दुलार योजना का लाभ दिलाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए कार्य करें, ऐसे बच्चों की जानकारी प्राप्त होने पर तथा आवेदन प्राप्त होने पर पात्रता के अनुसार उन्हें एडमिशन दिलाएं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा है
कि ऐसे बच्चों को गुणवत्ता पूर्वक अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके इसके लिए कोशिश होगी कि उन्हें अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाए तथा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में भी इनके एडमिशन को प्राथमिकता दी जाए। कलेक्टर ने इस संबंध में आज एक समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जहां कहीं से भी ऐसे बच्चों की सूचना आती है उस पर कार्रवाई करें। इनके आवेदन पर तत्काल कार्रवाई करें, इसके लिए समिति भी बनाई गई है जो पात्रता के अनुसार ऐसे बच्चों के एडमिशन के संबंध में निर्णय लेगी। अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के शिक्षा का संपूर्ण वहन शासन द्वारा किया जाएगा। कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। यह छात्रवृत्ति 500 रुपये होगी। इसके साथ ही नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों को भी छात्रवृत्ति दी जाएगी यह छात्रवृत्ति 1000 रुपये होगी। कलेक्टर ने आज बैठक में कहा कि आपदा में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों की देखभाल करना उन्हें उचित शिक्षा देना हम सबकी बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए व्यापक रूप से चिन्हांकन कार्य करें ताकि ऐसे सभी बच्चों को इस शासन की महत्वपूर्ण योजना का लाभ मिल पाए।
जिला शिक्षा कार्यालय में बनाया गया हेल्प डेस्क- जिला शिक्षा अधिकारी श्री प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला शिक्षा कार्यालय में प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। यहां पर हेल्प डेस्क भी बनाया गया है इसके नोडल अधिकारी श्री संजय वर्मा एमआईएस प्रशासक होंगे इनका मोबाइल नंबर 93401-93460 है। इनसे योजना के संबंध में तथा ऐसे बच्चों को एडमिशन दिलाने के संबंध में संपर्क किया जा सकता है।
सबसे पहली तो जमीन की गुणवत्ता है। फसल वैविध्य से ही मिट्टी की ऊर्वरता बढ़ती है। लगातार धान की फसल लेने से मिट्टी की ऊर्वरता पर असर पड़ता है। दूसरे शासन द्वारा धान के अलावा दूसरी फसल लेने पर दी जाने वाली दस हजार रुपए प्रति एकड़ की राशि है जिससे किसानों के लिए फसल का खर्च निकालना आसान होगा। तीसरी बड़ी चीज बीमा की सुविधा है जिसके माध्यम से किसानों के लिए रिस्क कवर भी आसानी से होगा। उन्होंने कहा कि बड़े किसान भी खेतों के अलग-अलग रकबे में अलग-अलग फसल ले सकते हैं इससे वैविध्य भी बढ़ेगा और आय की संभावनाएं भी विस्तृत होंगी। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में बाँस और सागौन का प्लांटेशन भी कर सकते हैं।
साइल कार्ड के मुताबिक देंगे सलाह- बैठक में योजना की नोडल अधिकारी अपर कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चैधरी ने कहा कि किसान को मिट्टी की गुणवत्ता के मुताबिक फसल लेने की सलाह दें। साइल कार्ड के आधार पर यह निर्णय लिया जा सकता है। इसके अलावा कुछ दलहन और तिलहन फसलों का जिनका क्षेत्र में उत्पादन का अच्छा ट्रैक रिकार्ड रहा है। उन्हें भी पुनः लगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा सकता है। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीम बनाकर किसानों से बातचीत करें जिनमें कृषि विस्तार अधिकारियों के साथ ही उद्यानिकी प्रक्षेत्र अधिकारी, वन विभाग के अधिकारी भी हों ताकि किसानों को योजना के बारे में पूरी तरह जानकारी देकर उसे इस ओर प्रेरित किया जा सके।