उज्जैन जल्द ही ‘महाकाल लोक’ मंदिर खुलने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित 856 करोड़ रुपये के महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शाम को इसके लिए चल रही तैयारियों का जायजा लिया.अधिकारियों ने बताया कि शिवराज ने मेगा इवेंट और मोदी के स्वागत के लिए नंदी द्वार से मंदिर तक कॉरिडोर परिसर में होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शन की ड्रेस रिहर्सल का निरीक्षण किया. यहां उज्जैन में प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के निवासी देवता भगवान शिव को समर्पित एक विशेष गीत गायक कैलाश खेर द्वारा मेगा कॉरिडोर के उद्घाटन के दिन गाया जाएगा.
दो भव्य प्रवेश द्वार, नक्काशीदार बलुआ पत्थरों से बने 108 अलंकृत स्तंभ, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से ज्यादा का एक पैनल जल्द ही उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ की शोभा बढ़ाने वाले हैं.900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर – ‘महाकाल लोक’ – भारत में सबसे बड़े ऐसे कॉरिडोर में से एक है, जो पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर है.जिसे प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर (12 ‘ज्योतिर्लिंगों’ में से एक) के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है.राजसी द्वार – नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, गलियारे के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर का प्रवेश द्वार और रास्ते में सौंदर्य के दृश्य प्रस्तुत करता है.राजस्थान में बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थरों का उपयोग उन संरचनाओं के निर्माण के लिए किया गया है जो गलियारे की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं. परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के कलाकारों और शिल्पकारों ने कच्चे पत्थरों को तराशने और अलंकृ करने का काम किया है.
उन्होंने बताया कि त्रिशूल के डिजाइन के साथ 108 स्तंभ, सीसीटीवी कैमरे और पब्लिस एड्रेस सिस्टम को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किया गया है.जनता के लिए कॉरिडोर खुलने के बाद भीड़ प्रबंधन के लिए घोषणाएं करने और भक्ति गीत बजाने के लिए पब्लिस एड्रेस सिस्टम का उपयोग किया जाएगा.मंदिर कॉरिडोर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनाया गया है. उज्जैन स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने कहा कि उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है और पुराने हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास महाकाल वन की मौजूदगी का वर्णन है.
परियोजना उस प्राचीनता को पुनर्स्थापित नहीं कर सकती जो सदियों पहले थी, लेकिन हमने गलियारे में स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला के माध्यम से उस गौरव को फिर से जगाने का प्रयास किया है, और कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम में वर्णित बागवानी प्रजातियों को भी गलियारे में लगाया है. इसलिए धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी शामिल हैं.