यूपी के लखीमपुर में एक शख्स और उसकी बेटी की सास पिछले महीने अपने -अपने घरों से भाग गए थे। दोनों 22 सितम्बर से लापता थे। बालिग होने के कारण पुलिस किसी तरह महिला आशरानी और समधी रामनिवास को वापस लाने का प्रयास कर रही थी। दोनों के एक संपर्की ने पुलिस को बताया था कि रविवार को दोनों वापस आ जाएंगे और अपने बयान दर्ज कराएंगे लेकिन रविवार को वे दोनों नहीं, उनकी मौत की खबर आई। इस घटना ने लोगों को हैरान कर दिया है।
पसगवां कोतवाली क्षेत्र के सोहौना गांव निवासी राम निवास राठौर ने अपनी इकलौती पुत्री चांदनी का विवाह मैगलगंज कोतवाली क्षेत्र के मुबारकपुर गांव निवासी आशाराम राठौर के बेटे शिवम के साथ इसी वर्ष 30 मई को किया था। बताते हैं कि राम निवास की पत्नी की मौत लगभग 15 वर्ष पूर्व हो गई थी। बेटी की शादी करने के बाद वह अकेला हो गया था, जिसके कारण वह अधिकतर अपनी बेटी की ससुराल में ही बना रहता था। इसी बीच रामनिवास का उसकी समधन आशारानी से प्रेम प्रसंग हो गया। प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि दोनों ने 22 सितंबर को घर छोड़ दिया। 24 सितंबर को आशारानी के पति आशाराम ने पत्नी की गुमशुदगी का मुकदमा मैगलगंज कोतवाली में दर्ज कराया था।
पुलिस ने रामनिवास के दोस्त के जरिए किया था संपर्क मैगलगंज इंस्पेक्टर विवेक उपाध्याय ने बताया कि गुमशुदगी दर्ज होने के कारण पुलिस महिला को थाने पर बुलाना चाहती थी। महिला बालिग थी तो कोई और कार्रवाई नहीं हो सकती थी। रामनिवास का दोस्त उससे संपर्क में था। पुलिस ने उसके जरिए आशारानी और उसके समधी से संपर्क किया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने सीतापुर निवासी इस शख्स को शनिवार शाम पकड़कर थाने पर बैठा लिया और रामनिवास को बुलाने का दबाव बनाने लगी। तब उसने मोबाइल से रामनिवास को पूरी बात बताते हुए जानकारी दी। इस पर आशारानी और रामनिवास ने रविवार सुबह आने की बात कही थी।
सवाल, क्या डर के कारण की आत्महत्या?
बताते हैं कि इसी बीच हरिद्वार से वापस आकर दोनों ने पुलिस द्वारा पकड़े जाने के भय से पिहानी जिला हरदोई के जहानीखेड़ा चौकी क्षेत्र में ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। सवाल है कि दोनों ने किसी डर में यह कदम उठाया। आशंका जताई जा रही है कि पुलिस के डर या लोकलाज के चक्कर में उन्होंने यह कदम उठा लिया। जहानीखेड़ा चौकी पुलिस ने दोनों की शिनाख्त कराए जाने के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए हरदोई भेज दिया। इधर जब इस घटना की सूचना मैगलगंज पुलिस को हुई तो उसने गिरफ्त में लिए गए रामनिवास के दोस्त को रविवार सुबह उसके पिता को बुलाकर सुपुर्दगी में देकर छोड़ दिया।