कर्नाटक हाईकोर्ट ने अमानवीय तरीके से बंदरों की हत्या के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति एन एस संजय गौड़ा की पीठ ने इस मामले को परेशान करने वाला बताया है और इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्रार जनरल को जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश दिया है।
यह घटना कर्नाटक के हासन जिले की है, जहां चार दिन पहले 38 बंदरों को जहर देकर मार दिया गया था।अज्ञात लोगों ने पहले बंदरों को जहर दिया था और फिर उन्हें बोरियों में भरकर पीट-पीटकर मार डाला था। इन बंदरों के शव सड़क के किनारे पाए गए थे। इस मामले में 4 अगस्त को सुनवाई होगी।यह मामला बेलूर तालुक के चौदानहल्ली गांव का है। यहां गुरुवार की सुबह 38 बंदरों के शव मिले थे।
इन्हें जहर देकर पीटा गया था और बोरियों में भरकर सड़क के किनारे फेक दिया गया था। जब पुलिस को इस घटना की सूचना मिली तो पुलिस मौके पर पहुंची थी। बोरी में भरे कुछ बंदर जिंदा थे और बुरी तरह हांफ रहे थे। ये हिलने-डुलने में भी असमर्थ थे। इस अमानवीय घटना पर लोगों ने नाराजगी जताई थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज कराई है। इस मामले में जिला प्रशासन, वन विभाग और पशु कल्याण बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, सुप्रीम कोर्ट के कानून के तहत अदालत का इस मुद्दे पर संज्ञान लेना जरूरी है। बंदरों को इस तरह से मारने की इस घटना ने मई 2020 की वह घटना याद दिला दी, जिसमें केरल की एक गर्भवती हथिनी को पटाखे खिलाकर मार दिया गया था। यह घटना साइलेंट वैली जंगलों के बाहरी इलाके में हुई थी, जहां कुछ शरारती तत्वों ने हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिला दिया था।
पटाखों वाला अनानास खाते ही हथिनी के मुंह में विस्फोट हुआ था, जिस कारण उसका जबड़ा बुरी तरह से फट गया और दांत भी टूट गए थे। दर्द से तड़प रही हथिनी वेलियार नदी में जा खड़ी हुई थी। दर्द को कम करने के लिए वह पानी में खड़ी रही और बार-बार पानी पीती रही। इसके बाद 27 मई को उसकी मौत हो गई थी।