भिलाई बीएसपी सहित सेल की विभिन्न इकाइयों में कार्यरत कर्मियों को अफसरों की तर्ज पर परफॉर्मेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) देने की प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके एवज में फिलहाल कर्मियों को हर महीने इनसेंटिव और साल में एक बार दिवाली के समय बोनस (एक्सग्रेसिया) दिया जाता है।
पीआरपी लागू होने पर ये सुविधाएं बंद कर दी जाएगी। सेल प्रबंधन की नजर मैनपावर के परफार्मेंस पर है। इसमें वह सुधार लाना चाहता है। प्रबंधन का मानना है कि कंपनी में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी हैं, जिनकी उत्पादन में भूमिका नहीं के बराबर होने के बाद भी उन्हें इनसेंटिव और बोनस गंभीरता और अनुशासन के साथ ड्यूटी करने वाले कर्मियों के बराबर ही मिलता है। इसका असर ईमानदारी के साथ काम करने वाले कर्मियों की मनोदशा पर पड़ता है। स्थिति से निपटने प्रबंधन काम कर रहा है।
अफसरों को पीआरपी देने के लिए चार ग्रेड बनाए गए हैं। इनमें ओ, ए, बी और सी है। उसी तरह कर्मियों के परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करने के लिए भी ग्रेड बनाए जाएंगे। इसमें ओ और ए ग्रेड मिलने वाले तो फायदे में रहेंगे लेकिन बाकी दो ग्रेड के कर्मियों को वर्तमान में मिलने वाले इनसेंटिव व बोनस के मुकाबले नुकसान उठाना पड़ सकता है। फिलहाल प्रबंधन कर्मियों को अधिकारियों की ही तर्ज पर पीआरपी देने की तैयारी में जुट गया है। प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
वर्तमान में कर्मियों के ग्रेड के अनुसार हर महीने 500 से 3150 रुपए तक इनसेंटिव और दिवाली में एक बार 20 हजार तक बोनस दिया जाता है। इस तरह साल भर कर्मियों को दोनों स्कीम की रकम मिलाने पर लगभग 40 से 55 हजार तक अतिरिक्त राशि मिलती है। पीआरपी शुरू होने पर कर्मियों को साल में एक बार भुगतान की जाने वाली राशि कंपनी के प्रॉफिट पर निर्भर रहेगा। पीआरपी देने का उद्देश्य परफॉर्मेंस और दक्षता को बढ़ाना है। ताकि ग्रोथ मिले।
बीएसपी में पांच महीने पहले लागू की गई प्रमोशन पालिसी को कर्मियों को पीआरपी देने की दिशा में एक कदम बताया जा रहा है। प्रमोशन पॉलिसी में काम की प्रकृति के आधार पर लाइन ऑफ प्रमोशन (एलओपी) बनाए जाने की बजाए ग्रेड के आधार पर एलओपी बनाया गया है। इससे पीआरपी की गणना में भी आसानी होगी। ग्रेड के आधार पर कर्मियों को प्रमोशन देने की भी प्रबंधन कर रहा है। बहरहाल इस मुद्दे पर प्रबंधन विचार कर रहा है।
सेल प्रबंधन पहले ही ग्रेच्युटी सीलिंग का एकतरफा आदेश जारी कर यूनियन नेताओं को झटका दे चुका है। लिहाजा जरुरी नहीं कि इनसेंटिव व बोनस बंद कर कर्मियों को भी पीआरपी देने का निर्णय लेने के पहले एनजेसीएस फोरम में यूनियन नेताओं से चर्चा करे। वहीं पहले ही वे इस मुद्दे को उठा चुके हैं। ऐसे में वे विरोध की स्थिति में रह जाएंगे।
कर्मियों को भी पीआरपी देने का मुद्दा केंद्रीय यूनियनें बोनस तय करने के लिए होने वाली बैठकों यूनियन प्रतिनिधि उठा चुके हैं। बोनस बैठकों में यूनियनों नेताओं की शिकायत रही है कि अफसरों के पीआरपी की राशि कर्मियों को दिए जाने वाले इनसेंटिव और बोनस की अपेक्षा काफी कम होता है। जबकि वे भी उत्पादन में अफसरों के साथ बराबरी की भागीदारी निभा रहे हैं। इस विषय को लेकर पहले ही बैठक में चर्चा हो चुकी है।
जानिए….कैसे तय होता है पीआरपी, क्या है फायदा
पीआरपी कंपनी के प्रॉफिट वाले वित्त वर्ष पर ही दिया जाता है। कंपनी को होने वाले कर पूर्व लाभ यानि पीबीटी की कुल राशि का 5 प्रतिशत रिजर्व रखा जाता है। इसके बाद कंपनी की रेटिंग तय होने पर उसके आधार पर पीआरपी की राशि तय की जाती है। रेटिंग की घोषणा में सालभर लग जाता है।