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सितारों के मुंह लगे अफसर ने रची साजिश,दर्ज की एफआईआर

मुंबई के प्रतिष्ठित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल (केडीएएच) की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने वाले इसके चीफ मार्केटिंग मैनेजर राजेश पांडे को ही मुंबई पुलिस शहर में हुए फर्जी वैक्सीन कांड का मुख्य सूत्रधार मान रही है। राजेश पांडे छह साल से इस अस्पताल में कार्यरत रहा है और इस अस्पताल में इलाज के लिए फिल्मी सितारों की आमद बढ़ाने में उसका बड़ा हाथ रहा है। मुंबई की तमाम फिल्म प्रोडक्शन कंपनियों से उसके सीधे नाते रहे हैं और इन रिश्तों की आड़ में ही उसने ये कांड कर दिया। पुलिस के मुताबिक राजेश और उसके साथियों ने मुंबई में एक हजार से ज्यादा लोगों को ये वैक्सीन लगा दी है। वैक्सीन लगवाने वालों ने अब पुलिस से ये भी पता लगाने की गुहार लगाई है कि आखिर उन्हें वैक्सीन के नाम पर लगाया क्या गया है। महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों में लगातार कमी आने के बाद मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के इस हफ्ते से रफ्तार पकड़ने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन हिंदी फिल्म उद्योग से सीधे जुड़ी तीन कंपनियों में हुए इस फर्जी वैक्सीन कांड ने इन तैयारियों पर गहरी चोट की है। टिप्स म्यूजिक कंपनी का मामला पहले ही सामने आ चुका है। मुंबई की नंबर एक टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी क्वान ने भी इसी गिरोह पर फर्जी वैक्सीन लगाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा फिल्म प्रोडक्शन कंपनी मैचबॉक्स पिक्चर्स में भी राजेश पांडे के साथियों ने ही फर्जी वैक्सीन लगाई।

मैचबॉक्स पिक्चर्स की शिकायत को भी अब एफआईआर में तब्दील कर लिया गया है। इस बीच बृहन्नमुंबई महानगर पालिका की जांच में ये साफ हो गया है कि कांदीविली की हीरानंदानी सोसाइटी में लगी वैक्सीन न तो शहर के किसी अस्पताल को आवंटित की गई है और न ही किसी अस्पताल को ऐसे बैच नंबर्स वाली वैकसीन की आपूर्ती ही की गई है। बीएमसी के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि हो सकता है ये वैक्सीन शहर के बाहर से लाई गई हो। गौरतलब है उत्तर प्रदेश में भी एक ऐसा मामला सामने आ चुका है जिसमें अलीगढ़ से लाई गई वैक्सीन नोएडा में लगाई गई थी। मुंबई पुलिस ने अपनी जांच में अब इस यूपी एंगल को भी शामिल कर लिया है।

राजेश पांडे को भी अभियुक्त बनाया गया है। इन दोनों के नाम कांदिविली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में भी शामिल हैं। राजेश पांडे के बारे में तफ्तीश करने पर पता चला कि वह कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में चीफ मार्केटिंग मैनेजर पद पर पिछले छह साल से काम करता रहा है। उसके हिंदी फिल्म जगत के तमाम बड़े सितारों व प्रोडक्शन घरानों से निजी ताल्लुकात हैं।मुंबई में लगे इन फर्जी वैक्सीन कैंपों की वैक्सीन उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की भी हो सकती है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं जो वैक्सीन अस्पतालों में खराब हो गई बता दी गई, वही वैक्सीन तो ऐसे गिरोह कैंप लगाकर नहीं बेच रहे हैं। बिना कोविन पोर्टल पर पंजीकरण कराए वैक्सीन लगाने से लोगों को बचना चाहिए। वॉक इन वैक्सीनेशन में वैक्सीन लगवाने वाले का पंजीकरण मौके पर होगा। अगर वैक्सीन लगवाने के बाद पंजीकृत मोबाइल नंबर पर किसी तरह का संदेश नहीं आता है तो तुरंत सतर्क होने की जरूरत है।

 

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