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गांधी परिवार को बचाने का चल रहा आंदोलन

नई दिल्ली, नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) को तलब किया है। जांच एजेंसी इससे पहले पांच दिनों तक राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) से भी पूछताछ कर चुकी है। सोनिया-राहुल से पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस एक बार फिर देशभर में आंदोलन कर रही है।

नेशनल हेराल्ड का आंदोलन से पुराना नाता रहा है। जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए इसकी शुरूआत की थी। आज उसी से जुड़े केस में गांधी परिवार को बचाने के लिए आंदोलन हो रहा है।

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1938 में स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने के लिए नेशनल हेराल्ड की शुरूआत की थी। नेहरू ने वर्ष 1937 में 5000 स्वतंत्रता सेनानी, जो इसमें शेयर धारक भी थे, संग एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited – AJL) कंपनी बनाई थी। तब इस कंपनी पर किसी एक व्यक्ति का स्वामित्व नहीं था। एजेएल (AJL) के तहत ही नेहरू ने अंग्रेजी के नेशनल हेराल्ड, हिंदी के नवजीवन और उर्दू के कौमी आवाज समाचार पत्र की शुरूआत की थी।

अपनी शुरूआत के बाद कुछ समय में ही नेशनल हेराल्ड अंग्रेजी का सबसे सशक्त समाचार पत्र बन चुका था। स्वतंत्रता आंदोलन के कई प्रभावशाली नेताओं के जुड़ने से नेशनल हेराल्ड की पहचान आजादी की मुहिम से जुड़ गई।

उस वक्त देश में इसकी पहचान महान राष्ट्रवादी समाचार पत्र के तौर पर होने लगी थी। इसके निर्भीक लेखों ने ब्रिटिश हुकुमत के मन में इतना डर पैदा कर दिया कि अंग्रेजों ने वर्ष 1942 में इसके प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि तीन साल बाद इसका प्रकाशन फिर से शुरू हुआ।

जवाहर लाल नेहरू इसमें नियमित अपने बेबाक लेख लिखा करते थे। आजादी के बाद नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने और उन्होंने इसके चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया।

धीरे-धीरे इसकी पहचान कांग्रेस के मुखपत्र के तौर पर होने लगी। वर्ष 2008 में एजेएल ने आर्थिक तंगी की वजह से तीनों समाचार पत्रों का प्रकाशन बंद कर दिया। 21 जनवरी 2016 को तीनों समाचार पत्रों को एक बार फिर से शुरू करने का प्रयास किया गया, जो फेल साबित हुआ।

आजादी के बाद जब नेशनल हेराल्ड व दो अन्य समाचार पत्रों का प्रकाशन कर रही एजेएल कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी, कांग्रेस पार्टी ने इसे समय-समय पर 90 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त लोन दिया। वर्ष 2010 में कंपनी ने घोषित किया कि वह लोन चुका पाने में सक्षम नहीं है।

लिहाजा 2010 में ही यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Young India Private Limited) नाम की नॉन प्रॉफिट कंपनी ने महज 50 लाख रुपये देकर सभी संपत्तियों सहित एजेएल कंपनी का स्वामित्व अपने नाम कर लिया। तब इसकी संपत्तियों की अनुमानित कीमत 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई है। गौरतलब है कि वर्ष 2010 की इस डील से कुछ समय पहले ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी थी।

अंग्रेजी के नेशनल हेराल्ड समेत हिंदी के नवजीवन और उर्दू के कौमी आवाज समाचार पत्र का प्रकाशन जिस एजेएल कंपनी द्वारा किया जाता था, उसे 5000 शेयरधारकों ने शुरू किया था। वर्ष 2010 तक इसके शेयर धारकों की संख्या घटकर मात्र 1057 रह गई।

इन शेयर धारकों में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण (Former Union Law Minister Shanti Bhushan) के पिता और इलाहाबाद व मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू (Markandey Katju) का नाम भी शामिल था। बावजूद एजेएल कंपनी का स्वामित्व, गांधी परिवार के स्वामित्व वाली यंग इंडिया कंपनी को बेचते वक्त इसके शेयर धारकों को न तो कोई सूचना दी गई और न ही उनसे कोई अनुमति ली गई।

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