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चीन में भारतीय राजनयिकों ने बीजिंग विटर ओलंपिक (Beijing Winter Olympic) का बहिष्कार किया है. दरअसल चीन ने बीजिंग विंटर ओलंपिक में गलवान घाटी में भारत के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए रेजीमेंट कमांडर क्यूई फैबाओ रहे एक सैन्य कमांडर को मशालवाहक बनाया है, जिसके विरोध में भारत ने ओलंपिक का बायकॉट किया है.
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इस कदम को गलवान हिंसा का वैश्विक स्तर पर प्रचार करने से जोड़कर देखा जा रहा है. इस पूरे मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने ओलंपिक का का राजनीतिकरण किया है. विदेश मंत्रालय के अनुसार बीजिंग में भारत के कार्यवाहक राजदूत ओलंपिक उद्घाटन या फिर समापन में किसी भी तरह का हिस्सा नहीं लेंगे.
इस कदम के बाद यूएनएससी में एक बैठक हुई, जिसमें भारत ने अपना पक्ष रखा. भारत ने कहा कि गलवान घाटी क्षेत्र और इसके बाहर शांति स्थापित करने के लिए भारत शुरू से ही राजनीति और सैन्य स्तर पर बातचीत करता रहा है जिससे दोनों देशों के बीच एक शांतिपूर्ण समाधान निकल सके.
अमेरिका ने इसकी आलोचना करते हुए चीन पर ओलंपिक का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है. फैबाओ को 15 जून, 2020 को गलवानी घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में सिर में चोट लगी थी. चीन ने अपने सरकारी अखबार की रिपोर्ट में फैबाओ को हीरो बताया था.
इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, यह वास्तव में खेदजनक है कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन का राजनीतिकरण किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत इसका विरोध करता है इसलिए डी अफेयर्स ओलंपिक में शामिल नहीं होंगे.
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