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महामहिम मुर्मू को दी गई 21 तोपों की सलामी, राष्ट्रपति भवन पहुंचे पीएम मोदी

द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने उन्हें शपथ दिलाई। बता दें कि मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं।पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन से विदा हो गए हैं। विदाई के दौरान  कोविंद को ट्राई सर्विस गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्राई सर्विस गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे हैं। यहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।

मेरे लिए जनता का हित सर्वोपरि : द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैंने ओडिशा के गांव से जीवन यात्रा शुरू की है। ये पद मेरी उपलब्धि नहीं, बल्कि देश के गरीबों की उपलब्धि है। लोकतंत्र की शक्ति से यहां पहुंची हूं। मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मेरे लिए जनता का हित सर्वोपरि है।मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है।
हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। मैंने अपने अब तक के जीवन में जन-सेवा में ही जीवन की सार्थकता को अनुभव किया है। जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति है। “मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ”। अर्थात, अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है।
मैं अपने देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव भी रख रहे हैं। देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा हमेशा आपको पूरा सहयोग रहेगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं जनजातीय समाज से हूँ, और वार्ड कौन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।

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