दीपावली पर्व का उल्लास चहुंओर नजर आ रहा है। धनतेरस के पहले दिन शनिवार की शाम ढलते ही घर-आंगन दीयों से जगमग हो गए। लोगों ने दीपमालिकाएं सजाईं। धनतेरस के साथ पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत हुई। घरों पर दीये जलाए। रविवार को रूप चतुर्दशी आस्था व उत्साह के साथ मनाई जाएगी। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस की कैद से 16008 रानियों को भी मुक्त कराया था।
इस दिन को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। शाम को गोधूलि बेला में खरीदी शुभ रहेगी। सोमवार को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। सोमवार को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर घर-घर दीप जगमगाएंगे। 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण का साया रहेगा। 26 अक्टूबर को अन्नकूट महोत्सव व 27 अक्टूबर को भाई दूज व यम द्वितीया पर्व मनाया जाएगा।
रूप चतुर्दशी पर मुख्य रूप से सुबह उबटन लगाकर जल में गंगा जल एवं अपामार्ग डालकर उस जल से स्नान करें। स्नान के बाद अपने पितरों का तर्पण करे। ऐसा करने से रूप एवं सौंदर्य में वृद्धि होती है एवं व्यक्तित्व का विकास होता है। उन्होंने कहा कि यमराज की प्रसन्नता के लिए सांयकाल गौधूलि बेला में घर के द्वार से समीप दाहिनी ओर गेहूं की ढेरी रखकर चतुर्मुखी दीपक लगाएं। ऐसा करने से दीर्घायुश्वर व आरोग्य पूरे परिवार को प्राप्त होता है। रोग-कष्ट जैसे विकार दूर होंगे।
चतुदर्शी में शाम को गौधूलि बेला में हनुमान जी के दर्शन करें। इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन और राजा बलि का स्मरण करना चाहिए। साथ ही उनकी पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में मां लक्ष्मी का स्थायी रूप में आगमन होता है।