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दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खां, अब्दुल्ला और डॉ. तजीन फातिमा को सात-सात साल की सजा

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आजम खां, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने तीनों को जेल भेजने का आदेश दिया. फैसले को लेकर कचहरी में भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात दिखे. इस मामले में आजम खां के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा ट्रांसफर कराने के लिए भी दायर की थी, जिसे खारिज किया जा चुका है.

इस प्रकरण में आजम खां के अलावा उनकी पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला नामजद बनाए गए. इसकी सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) में चल रही थी. दोनों ओर से गवाही पूरी होने के बाद अदालत ने इस मामले में 18 अक्टूबर को फैसले के लिए तय की थी. हालांकि इससे बचने के लिए आजम खां सुप्रीम कोर्ट भी गए थे, जहां उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से मुकदमा ट्रांसफर अर्जी दायर की थी, लेकिन उन्हें राहत ​नहीं मिली.

आजम बोले- इंसाफ और फैसले में फर्क

वहीं फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में कोर्ट के फैसले के बाद आजम खां ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि इंसाफ और फैसले में फर्क होता है. आज फैसला हुआ है. आजम ने जेल जाने के दौरान मीडिया से ये बात कही.

भाजपा नेताओं के इशारे पर रची जा रही साजिश: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन यह तय है कि यह सब साजिश के तहत हो रहा है. बाहर से खास अधिकारी बुलाए गए हैं, वो भाजपा नेताओं के इशारे पर यह सब कर रहे हैं. मोहम्मद आजम खां ने देश की भावी पीढ़ी को शिक्षित बनाने के लिए रामपुर में स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बनवाए हैं. समाज को बांटने के लिए भाजपा जाति और धर्म का सहारा ले रही है. उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है. भाजपा वाले समाज को बांटने के लिए जाति और धर्म का सहारा ले रहे हैं. आजम साहब मुसलमान हैं, इसलिए उन्हें भाजपा की सरकार फंसा रही है. उन्होंने कहा कि 10 साल की दिल्ली और सात साल की प्रदेश सरकार ने कोई काम नहीं किया है. झूठ बोलकर विश्व गुरू बनना चाहते हैं.

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि आजम खां सत्ता की ताकत के घमंड में अपने आपको कानून से ऊपर समझने लगे थे. कोर्ट का फैसला आने के बाद लोगों का न्यायापालिका पर विश्वास और मजबूत हुआ है. ये उन लोगों के लिए सबक है, जो सत्ता में रहते हुए अपने आप को कानून से ऊपर समझते हैं. इसके साथ ही ये सपा, बसपा जैसी पार्टियों के लिए भी सबक है, जो सरकार में रहते कानून का दुरुपयोग करती हैं. हकीकत में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, जो भी कानून को हाथ में लेने का काम करेगा, उसको आखिरकार जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा.

आजम खां के परिवार के खिलाफ दो जन्म प्रमाण पत्र का मामला भाजपा विधायक आकाश सक्सेना की ओर से तीन जनवरी 2019 को दर्ज कराया गया था. इसमें आरोप है कि आजम खां ने बेटे के अलग-अलग जन्मतिथि से दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं. इसमें एक जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका से बना है, जबकि दूसरा लखनऊ से बना है.

भाजपा विधायक के अधिवक्ता संदीप सक्सेना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में आजम खां की अर्जी खारिज हो गई थी. अब इस मामले में फैसला आया है. इसमें आजम खां और उनके परिवार पर धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज बनाने आदि गंभीर धाराओं में आरोप हैं.

जन्मतिथि के केस में अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता हो चुकी है रद्द

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान अब्दुल्ला आजम की ओर से जन्मतिथि की जो जानकारी दी गई थी, उसे उस समय उनके निकटतम प्रतिद्धंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने दलील दी कि 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 वर्ष से कम थी, जबकि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी कागजात और हलफनामा दाखिल किया था. हाईस्कूल की मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया था. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अब्दुल्ला की विधानसभा की सदस्यता को रद्द करते हुए चुनाव शून्य घोषित कर दिया था. इसे बाद अब्दुल्ला आजम ने दूसरी बार 2022 में रामपुर की स्वार टांडा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव चुनाव लड़कर जीत हासिल की. इसके बाद मुरादाबाद के छजलैट प्रकरण के 15 साल पुराने केस में कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और 14 फरवरी 2023 को दो साल की कैद व तीन हजार रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई. इसके बाद बाद उनकी विधानसभा सदस्यता दूसरी बार भी चली गई.

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