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18 प्रकार के परम्परागत व्यवसायों के लिए मिलेगा प्रशिक्षण, अनुदान एवं ऋण

दुर्ग: नव पदस्थ कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने गुरूवार की संध्या पदभार ग्रहण कर लिया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा 2014 बैच के अधिकारी ऋचा प्रकाश चौधरी इससे पूर्व जांजगीर-चांपा जिले में कलेक्टर के पद पर पदस्थ थे। दुर्ग जिले के निवर्तमान कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा (आईएएस) ने कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी को कार्यभार सौंप कर उन्हें नवीन दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर जिला कार्यालय में पदस्थ सभी अपर कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर एवं अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

केन्द्र शासन द्वारा सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना लागू की गई है। यह योजना 17 सितम्बर 2023 से प्रारंभ किया गया है। जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 18 प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण, अनुदान, ऋण आदि से लाभान्वित किया जा रहा है।

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य

योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान विश्वकर्मा के रूप में कर उन्हें सभी लाभ प्राप्त करने के योग्य बनाना, विश्वकर्माओं के उपलब्ध कौशल उन्नयन कार्यक्रमों से जोड़ कर उनका कौशल विकास करना, उनकी योग्यता, क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक औजार, टूल किट प्रदान करना, संपर्शिक मुक्त ऋण प्रदान करना तथा उन्नति के लिए विभिन्न बाजारों से जोड़ना है। योजनातंर्गत आवेदन करने हेतु इच्छुक आवेदक सामान्य सेवा केन्द्र के माध्यम से निःशुल्क आवेदन कर सकते है।

पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभ

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत शिल्पकारों और कारीगरों को प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के जरिए पहचान मिलेगी। पंजीकृत हितग्राहियों को पहले चरण में एक लाख रुपए तक की और दूसरे चरण में 2 लाख रुपए तक की राशि 5 प्रतिशत रियायती ब्याज दर पर दिया जाएगा। इस योजना के तहत पंजीयन के बाद उनकेे पारंपरिक कौशल को निखारने के लिए 5 दिन का निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदाय किया जाएगा एवं 500 रूपये प्रतिदिन की दर से स्टाईफंड दिया जाएगा। उन्हें यंत्र एवं औजार के लिए 15 हजार रूपये की अनुदान सहायता राशि भी दी जाएगी।

18 प्रकार के पारंपरिक व्यवसाय

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 18 प्रकार के पारंपरिक व्यवसाय-बढ़ई, नाव बनाने वाले, अस्त्रकार, लोहार, लोहे के औजार निर्माता, तालासाज, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, संगतराश, चर्मकार (मोची) जूते बनाने वाले, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाडू व पैरदान बनाने वाले, गुड़िया एवं खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी एवं मछली पकड़ने का जाल निर्माता आदि को सम्मिलित किया गया है।

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