इस पौधे को शतावरी कहते हैं. देखने में हरी घास की तरह यह पौधा किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. आयुर्वेद में इसके तमाम वर्णन किए गए हैं. यह रोगियों के लिए अमृत तो स्वस्थ व्यक्तियों के लिए वरदान कहा गया है. यह एक नहीं बल्कि अनेक रोगों में बेहद लाभकारी और गुणकारी होता है.
हरी घास की तरह दिखने वाली यह एक बड़ी जड़ी-बूटी है. यह झाड़ीदार पौधा है, जिसकी लताएं होती हैं. पौधे के नीचे अनेकों जड़ें पाई हैं. सबसे खास बात यह है कि इनकी जड़ दोनों तरफ से नुकीली होती हैं. जड़ों के ऊपर भूरे रंग का पतला छिलका होता है, जिसे हटाने पर अन्दर बिल्कुल दूध जैसा दिखाई देता है.
शतावरी औषधि अनिद्रा, सर्दी-जुकाम, गला बैठना, सूखी खांसी, सांस के रोग, अपच की समस्या, पेट में दर्द, सिर दर्द, नाक के रोग, घाव, आंख के रोग, रतौंधी, मूत्र विकार, बुखार, बवासीर, पुरानी पथरी, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध बढ़ाने, शारीरिक कमजोरी, मर्दानगी ताकत, वीर्य दोष और स्वप्न दोष जैसी तमाम छोटी से लेकर बड़ी बीमारियों को शरीर से दूर करने में कामयाब सिद्ध होती है.
इस पौधे की जड़ और पत्ते शरीर के लिए उपयोगी और लाभकारी होते हैं. इसके जड़ के काढ़े और पत्ते के चूर्ण के रूप में सेवन किया जा सकता है. उपर्युक्त तथ्यों की जानकारी शांति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज मझौली बलिया के डॉ. के द्वारा दी गई है.
ताकत के लिए इसकी पत्तियों को घी में पकाकर मालिश किया जा सकता है. सभी जड़ी – बूटियों का अपना अलग-अलग साइड इफेक्ट भी होता है, इसलिए कभी भी अपने मन से किसी औषधि का उपयोग नहीं करना चाहिए. बेहतर लाभ पाने के लिए एक आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेकर ही उपयोग करें, क्योंकि उम्र और बीमारी के हिसाब से सही डोज एक चिकित्सक ही निर्धारित कर सकता है.
Disclaimer: इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें