रांची के सीएम आवास से बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने विधायकों को 3 बसों में लेकर निकले हैं. उन्हें सुरक्षित रिसॉर्ट में ले जाया गया है. इसके साथ ही सभी विधायकों का फोन ऑफ कराया गया है. इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे विधायकों को छत्तीसगढ़ में शिफ्ट किया जाएगा. दरअसल जब विधायक मीटिंग में शामिल होने पहुंचे थे तो उनकी गाड़ियों में बैग और अन्य सामान भी दिखाई दिया था. इसीलिए संभावना जताई जा रही थी कि झारखंड के यूपीए विधायकों को प्रदेश से बाहर कहीं भी भेजा जा सकता है, इनमें सबसे ज्यादा अटकलें छत्तीगढ़ भेजने की लगाई जा रही हैं.
छत्तीसगढ़ को लेकर इसलिए अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि विधायकों को ऐसे प्रदेश में शिफ्ट किया जा सकता है, जहां यूपीए की मजबूत सरकार है.हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जा सकती है, जिसके बाद विधायकों की बैठक तीन बार बुलाई जा चुकी है. दरअसल खनन पट्टे के मामले में चुनाव आयोग ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट झारखंड के राज्यपाल को भेज दी है. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत को विधायक पद के लिए अयोग्य ठहराया है.
यानी उनकी विधायकी रद्द करने की सिफारिश की है. इसी बीच सीएम हेमंत सोरेन ने भी अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह आदिवासी का बेटा है. इनकी चाल से हमारा रास्ता न कभी रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया था. हम आदिवासियों के DNA में डर और भय के लिए कोई जगह ही नहीं है. साथ ही सीएम सोरेन ने कहा कि “शैतानी ताकतें” लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार कोअस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं. लेकिन वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे.
एक सरकारी समारोह में सोरेन ने कहा कि वह चिंतित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें राज्य पर शासन करने का जनादेश लोगों ने दिया है न कि उनके विरोधियों ने. उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं, वह राजनीतिक रूप से हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं हैं. वे हमारी सरकार को अस्थिर करने के लिए ED, CBI, लोकपाल और Income Tax का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन हम इससे कतई चिंतित नहीं हैं.
पूरा मामला?
हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ ज़मीन का खनन पट्टा मिला था. दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई. 11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते.इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया.