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पर्यटन विभाग ने यात्रा मार्गों पर, फुट थेरेपी बाडी मसाज की सुविधा उपलब्ध

देहरादून चारधाम यात्रा के लिए आ रहे तीर्थयात्रियों को फुट थेरेपी और बाडी मसाज सुविधा उनकी राह आसान कर रही है। पर्यटन विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर विभिन्न जगहों पर फुट थेरेपी और बाडी मसाज की सुविधा दी जा रही है। सैकड़ों की संख्या में यात्री इसका लाभ भी उठा रहें हैं। मसाज महज पंद्रह मिनट में तीर्थयात्रियों की थकान को कम कर उन्हें राहत दे रही है। विभाग की ओर से यमुनोत्री पैदल मार्ग में जानकी चट्टी और केदारनाथ और सोनप्रयाग में मसाज सुविधा उपलब्ध है। यहां यात्री इसका लुत्फ उठा रहें हैं।

जिला पर्यटन विकास अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि यमुनोत्री धाम के रास्ते में जानकी चट्टी में बाडी और फुट मसाज की तीन मशीने लगाई गई हैं। जहां यात्री फुट एवं बाडी मसाज का लुत्फ उठा रहे हैं। बताया कि इस व्यवस्था से जहां यात्रियों की थकान मिट रही है वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इसी तरह से केदारनाथ के हाट बाजार के पास दो मशीन लगाई गई हैं जबकि सोनप्रयाग के बाजार में भी दो मशीने लगी हैं। बाडी मसाज मशीन का तीर्थयात्रियों से 15 मिनट का 250 रुपये और फुट थेरेपी का 100 से 150 रुपये लिए जा रहे हैं।

दून के चिकित्सकों को स्त्री रोग में लेजर के उपयोग के लिए प्रशिक्षित करने को लेजर और कास्मेटिक गायनी अकादमी लेजरवेल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए चिकित्सकों ने भाग लिया। लेजरवेल की निदेशक डा. सुमिता प्रभाकर ने कहा कि स्त्री रोग में लेजर अत्याधुनिक तकनीक है। महिलाओं में मूत्र असंयम एक आम समस्या है, मगर झिझक और जानकारी की कमी के कारण महिलाएं इस समस्या के बारे में बात करने से बचती हैैं।

महिलाओं को ऐसा लगता है कि इस समस्या का समाधान सर्जरी है, लेकिन अब लेजर के माध्यम से बिना सर्जरी के मूत्र असंयम जैसी समस्या में मरीजों को लाभ मिल रहा है। लेजर प्रक्रिया में मरीज को भर्ती नहीं करना पड़ता, दर्द नहीं होता और न ही एनेस्थीसिया की जरूरत पड़ती है।बताया कि वह लेजर की कई प्रक्रियाएं कर रही हैैं और महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है।

उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण उन चिकित्सकों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है, जो लेजर या कास्मेटिक गाइनी की तकनीक से वाकिफ नहीं हैैं। इस प्रशिक्षण में चिकित्सकों को लेजर की जानकारी, तनाव मूत्र असंयम में लेजर के उपयोग, गायनिकोलाजी में पीआरपी, जेनिटोयूरिनरी ङ्क्षसड्रोम, हाइमनोप्लास्टी, लेबियोप्लास्टी आदि की जानकारी दी गई।

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