


महिला आयोग की जनसुनवाई में 29 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें 20 प्रकरणों पर सुनवाई की गई, जिसमें से दो प्रकरणों को तत्काल निराकृत किया गया तथा शेष प्रकरणों में निराकरण की संभावना होने के कारण आगामी जन-सुनवाई में रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने शास्त्री चौक रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने की।


शुक्रवार को संपत्ति विवाद से संबंधित प्रकरण में अनावेदकगण ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत किया। आवेदिका द्वारा प्रस्तुत आवेदन की काॅपी मिलने पर अनावेदकगणों द्वारा विस्तृत जवाब दिया गया। इस जवाब की आवेदिकागण को यदि आवश्यकता है तो वह सूचना के अधिकार के तहत आवेदन कर दस्तावेज प्राप्त कर सकती है। ऐसा ही अनावेदकगण के लिये भी है।
चूंकि इस प्रकरण में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया शाखा स्टेशन रोड चेक से 37 लाख 41 हजार रुपये खाताधारक के चेक के पश्चात विवादित संपत्ति की रजिस्ट्री होने का उल्लेख है। अतः यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर को पत्र प्रेषित कर संबंधित चेक और अनावेदिका के खाते से संबंधित ब्यौरा की जानकारी मंगाया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही रजिस्ट्रार आफिस रायपुर से सात फरवरी 2020 में अनावेदकगण के मध्य किए गए रजिस्ट्री से संबंधित अभिलेख का विस्तृत ब्यौरा भी मंगाया जाना आवश्यक है।
आवेदकगण इन दोनों पत्रों के बाबत् अपना विस्तृत लिखित आवेदन प्रस्तुत करें। जिसके आधार पर अभिलेख बुलाने के लिए पत्र लिखा जा सके। आगामी सुनवाई हेतु अगस्त माह में सुनवाई नियत किया जा सके। अनावेदक पक्ष भी यदि कोई दस्तावेज या अभिलेख बुलाना चाहते हैं, तो उसके लिये भी आवेदन कर सकते हैं। इसी तरह मानसिक प्रताड़ना के एक प्रकरण मे आवेदिका ने सहायक ग्रेड 3 के साथ जिला कार्यक्रम अधिकारी बलौदाबाजार एवं जिला संरक्षण अधिकारी के विरुद्ध अपना शिकायत आयोग के समक्ष किया था। जिसमें आयोग की अध्यक्ष ने इस पूरे मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी बलौदाबाजार एवं जिला संरक्षण अधिकारी दोनों से पूछताछ की। अनावेदिका की शिकायत में मई माह को आवेदिका के पति के खिलाफ लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की है। बिना शिकायत के परिवाद समिति में प्रकरण क्यों रखा गया, इसका कोई भी ठोस एवं स्पष्ट जवाब दोनों के द्वारा नहीं दिया गया।
अनावेदिका के आवेदन में मानसिक प्रताड़ना शब्द का उल्लेख है और आवेदिका के पति के द्वारा किए गए कार्य विभाजन का प्रभार देने से बचने का भी उल्लेख है। इससे यह स्पष्ट है कि अनावेदिका ने लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 में लैंगिक उत्पीड़न की पांच स्पष्ट प्रावधान में से कम से कम एक बिंदु पर शिकायत होना आवश्यक है। इनमें से किसी भी एक विषय पर अनावेदिका ने आवेदिका के पति के खिलाफ स्पष्ट शिकायत नहीं किया है और मई माह की शिकायत में लैंगिक उत्पीड़न कानून के तहत कोई भी स्पष्ट तथ्यों का उल्लेख नहीं है जिला संरक्षण अधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी के आदेश के पालन में काम करना बताया है। आवेदिका के पति ने यह भी व्यक्त किया है जिला परिवाद समिति ने अनावेदिका के आवेदन और दस्तावेज से उसे अवगत नहीं किया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी और जिला संरक्षण अधिकारी दोनो को आयोग द्वारा निर्देशित किया गया है कि बिना लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत के शुरू किए गए आंतरिक परिवाद समिति के मामले में प्रकरण समाप्त कर अपनी रिपोर्ट आयोग की आगामी सुनवाई में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि उसके आधार पर प्रकरण का निराकरण किया जा सके।भरण पोषण के प्रकरण में आवेदिका पत्नी अनावेदक पति के साथ जाने तैयार है।
मगर, अनावेदक पति अपने आवेदिका पत्नी को साथ रखने तैयार नहीं है और न उसके दहेज के सामान को दे रहा है और ना ही भरण पोषण देने को तैयार है। अनावेदक पति पुलिस आरक्षक है तथा उसे 22 हजार रुपये का मासिक वेतन मिलता है। अनावेदक पति ने यह स्वीकार किया कि उसके सर्विस बुक में आवेदिका पत्नी का नाम दर्ज है, आवेदिका पत्नी अनावेदक पति और उसके परिवार के दुर्व्यवहार के बावजूद भी साथ रहने तैयार है।मगर, अनावेदक पति आवेदिका पत्नी को साथ रखने तैयार नही है ऐसी स्थिति में आवेदिका पूरी तरह से स्वतंत्र है कि अनावेदक पति और उसके परिवार और अन्य रिश्तेदार जिन्होंने आवेदिका को दहेज के लिए प्रताड़ित किया है। उन सब के विरुद्ध आवेदिका ने दहेज प्रताड़ना की भी शिकायत की है। इस स्तर पर आवेदिका ने बताया कि अनावेदक पति पुलिस में आरक्षक के पद पर कार्यरत है, उनके शिकायत पर पूर्व में कोई कार्यवाही नहीं हुई थी इसलिए अनावेदक पति का हौसला बढ़ा हुआ है।आयोग द्वारा इस पूरे प्रकरण के आदेश की प्रति दुर्ग एसपी और महिला थाना प्रभारी दुर्ग को प्रेषित की जाएगी तथा इस प्रकरण में की गई कार्यवाही को दो माह के भीतर अवगत कराने आयोग ने निर्देशित किया है। एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित अनावेदक ने जानकारी दिया कि आवेदिका उसके खिलाफ 498ए, भरण-पोषण, घरेलू हिंसा का मामला लगा रखा है। मामला आयोग के क्षेत्राधिकारी से बाहर होने के कारण प्रकरण को निराकृत कर दिया गया। इसी तरह समझौते के एक प्रकरण में दोनों पक्ष शांतिपूर्वक समझौते के साथ रह रहे है। इस तरह यह प्रकरण भी निराकृत हो गया।