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नक्सलियों की नजर बाल संघम संगठन में शामिल करने की कोशिश

बस्तर IG सुंदरराज पी ने बताया कि माओवादियों ने बच्चों का ध्यान पढ़ाई से भटकाकर माओवाद संगठन में शामिल करने पर जोर दिया था। लेकिन वे अपनी इस प्लानिंग में कामयाब नहीं हो सके। गांव-गांव में पुलिस का नेटवर्क फैल चुका है। कई नक्सली एनकाउंटर में ढेर हुए हैं तो कइयों ने सरेंडर कर दिया है। साथ ही कई नक्सलियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

जिससे नक्सली बौखलाए हुए हैं। इसलिए बच्चों का ध्यान भटकाकर उन्हें बाल संघम संगठन में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। माओवादियों ने ज्यादातर स्कूली छात्र-छात्राओं और युवाओं को संगठन में भर्ती करने की कोशिश की है। स्कूल-कॉलेज खुलने के बाद अंदरूनी इलाके के जो भी बच्चे वापस आए, उनकी काउंसलिंग की गई थी।

गांव के बच्चे पढ़ लिखकर अब अपना भविष्य बनाना चाहते हैं। वे नक्सलियों के चंगुल में नहीं आएंगे। बच्चों को ढाल की तरह करते हैं इस्तेमाल बस्तर में माओवादी बच्चों को ढाल बनाकर अपना काम निकलवाते हैं। कुछ साल पहले दंतेवाड़ा के कुआकोंडा इलाके में कुछ स्कूली बच्चों को पुलिस ने पकड़ा था। जो स्कूल के बैग में माओवादियों के लिए दवाइयां लेकर जा रहे थे।

बीजापुर की एक महिला माओवादी ने खुलासा किया था कि पोटाकेबिन की कई बच्चियां माओवाद संगठन में शामिल हो चुकी हैं। सरेंडर करने वाली महिला माओवादी खुद भी जब पोटाकेबिन में पढ़ाई करती थी तो नक्सली इसे भी बहला-फुसला कर अपने साथ लेकर चले गए थे। महिला नक्सली के इस खुलासे के बाद जबरदस्त हड़कंप मच गया था।

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