अंबिकापुर पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ के 12 लाख गरीबों का आवास छिनने का दोषी ठहरायाब है। भूपेश सरकार के साढ़े तीन वर्षों में 81 हजार करोड़ का कर्ज लेने के बावजूद प्रधानमंत्री आवास के लिए 40 फीसद राज्यांश जमा नहीं करने को उन्होंने गरीबों के साथ धोखा करार दिया है।डा रमन ने कहा है कि कर्ज लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यह कर्ज अधोसंरचना विकास और गरीबों के आवास के लिए लिया जाना चाहिए।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपनी योजनाओं पर भरोसा नहीं है।यही कारण है कि सत्ताधारी दल होने के बावजूद कांग्रेस को खैरागढ़ विधानसभा के लिए 29 सूत्रीय घोषणा पत्र जारी करना पड़ा है।
पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने कहा कि भाजपा के 15 वर्षों के शासनकाल में सरगुजा में विकास के ढेरों काम हुए।पिछले चुनाव में सरगुजा के लोगों ने कांग्रेस का साथ दिया लेकिन कांग्रेस सरकार ने लोगों का विश्वास खंडित किया है।आपस मे द्वंद से विकास के काम अवरुद्ध हो गए है।अब सरकार के पास सिर्फ एक बजट पेश करने का समय रह गया है इससे तय है कि अब सरगुजा का विकास नहीं हो सकता।कवर्धा की तरह सरगुजा में भी तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है।महामाया पहाड़ पर सुनियोजित तरीके से लोगों को बसाना षड्यंत्र का हिस्सा है।कवर्धा से हुई शुरुआत सरगुजा तक पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि जोगी शासनकाल में आठ हजार करोड़ का कर्ज था।हमने 15 वर्ष तक शासन किया लेकिन 36 हजार करोड़ का कर्ज लिया।साढ़े तीन साल में कांग्रेस सरकार ने 81 हजार करोड़ का कर्ज लिया है।जिसका सालाना ब्याज ही 12 हजार करोड़ देना पड़ता है।छत्तीसगढ़ में आर्थिक दिवालियापन का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मिशन अमृत जैसी 100 करोड़ की योजना में आधा काम भी नहीं हो रहा।कोयले में 25 रुपये प्रति टन कमीशन लिया जा रहा है।
रेत और शराब माफिया गिरोह प्रदेश में सक्रिय है।रायपुर का आदमी यहां रेत के धंधे में लगा है। नदियों की धारा बदलने का काम सरकार कर रही है।रेत के अवैध कारोबार का विरोध करने वाली विधायक छन्नी साहू के पति को एट्रोसिटी एक्ट में फंसाकर जेल भेज दिया गया।उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रदेश की स्थिति को आपातकाल से भी खराब बताया।चर्चा के दौरान राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम,गौरीशंकर अग्रवाल,ललनप्रताप सिंह,कमलभान सिंह,अनिल सिंह मेजर,रजनी त्रिपाठी,अखिलेश सोनी,प्रबोध मिंज उपस्थित रहे।
पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का नाम लिए बगैर कहा कि कांग्रेस के साढ़े तीन साल के कार्यकाल को सरगुजा की जनता ने दुख भोगा है।कांग्रेस के दो शीर्ष नेताओं की लड़ाई का युद्धभूमि सरगुजा बन गया है।सरगुजा संभाग इसका भुक्तभोगी है।जानबूझकर सरगुजा का विकास रोका गया है।यहां बदले की कार्रवाई की जा रही है।
डा रमन सिंह ने आरोप लगाया कि इंडियन प्रीमियर लीग(आइपीएल)की तरह छत्तीसगढ़ में क्लेक्टर और एसपी की बोली एक साल के लिए लग रही है।कोरबा जिला सबसे टाप पर है।फिर रायगढ़ का नंबर आता है क्योंकि यहां डीएमएफ का फंड अधिक है।दस करोड़ में कलेक्टोरेट बिक रहा है।मेरा मानना है कि धमक से सरकार चलती है जब कलेक्टर-एसपी की ऑक्शन होगी तो जनता की कहां सुनवाई होगी।
आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर हाइकोर्ट में दायर याचिका और नोटिस को डा रमन ने राजनैतिक षड्यंत्र करार दिया।उन्होंने कहा कि वे हर चुनाव लड़ते है।हर बार शपथ पत्र के साथ आय का व्योरा देते है इसे निर्वाचन आयोग और आयकर विभाग सत्यापित करता है।वर्ष 2003 की संपत्ति का दर आज बढ़ा हुआ होगा।यदि गड़बड़ी होती तो आयकर विभाग से नोटिस मिलती।आज तक उंन्हे एक नोटिस भी नहीं मिली है।यह राजनीति मामला है।इस मामले में भी डा रमन जबाब नहीं देगा।आयकर विभाग और सरकार को जबाब देना है।
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर डा रमन सिंह ने कहा कि हाल में हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश को छोड़कर कही भी भाजपा ने मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित नहीं किया था।विधायक दल की एक घण्टे की बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाता है।छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास बहुत सारे चेहरे है।
राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं है,राजा के दिन भी ठीक हो सकते है।राजनीति में आदमी को फर्श से अर्श तक पहुंचने में देरी नहीं लगती। खैरागढ़ में हमारी स्थिति बेहतर।कांग्रेस ने मतदाताओं को प्रलोभन दिया।उनकी साड़ियां, शराब जब्त हुई।हम खैरागढ़ चुनाव जीतेंगे।केंद्र की राशि से ही छत्तीसगढ़ में हो रहा विकास।यहां के फंड से आज तक कुछ नहीं हुआ।
केंद्रीय योजनाओं के नामकरण में ही व्यस्त है भूपेश बघेल।वल्दियत किसी की भी हो लेकिन उसका नामकरण भूपेश अपनी ओर से चाहते है। छत्तीसगढ़ का केंद्रीय हिस्सा 32 फीसद से बढ़ाकर 42 फीसद कर दिया गया है।खैरागढ़ में आठ दिन घूम-घूम कर प्रचार के बाद भी हार की भनक लगते ही जिला बनाने की घोषणा। कोई भी सत्ताधारी दल किसी विधानसभा के उपचुनाव में घोषणा पत्र जारी नहीं करती,यह हार का डर है।