किसी ने सोचा नहीं था कि एक ही रात में पूरा गांव उजड़ जाएगा। 35 घरों वाले होंजड़ गांव में जब लोग सो रहे थे, तो अचानक आसमान से आफत बरसी और पानी-मलबे के साथ गांव के मकानों को बहा ले गई। घायलों के साथ किश्तवाड़ जिला अस्पताल पहुंचे रुस्तम अली ने बताया कि गांव में अब केवल दस घर ही सुरक्षित बचे हैं। वहां से भी लोग इधर-उधर चले गए हैं।
रुस्तम अली ने बताया कि होंजड़ गांव पर बाढ़ की आफत का पता चलने पर वह अपने रिश्तेदारों का पता लेने गांव पहुंच गए। वहां का मंजर बेहद खौफनाक था। रेस्क्यू ऑपरेशन में एक रिश्तेदार को बचा लिया गया। ज्यादातर मकान नाले की तरफ बाढ़ के मलबे के साथ बह गए हैं। लोग और रेस्क्यू दल के सदस्य लापता लोगाें को खोज रहे हैं।
गांव में कई शव मलबे के नीचे से निकाले गए हैं। यकीन नहीं हो रहा कि एक ही रात में गांव तहस-नहस हो गया है। किश्तवाड़ के होंजड़ गांव में सेना की टीम ने कई लोगों को बचाने में मदद की। सेना ने लोगों की जान को बचाने के साथ लोगों को खाने पीने का सामान भी उपलब्ध कराया। सेना की ओर से बयान में कहा गया है
कि मलु और नथ नाले का जलस्तर बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ था। तबाही के बीच सेना ने पुलिस के साथ रेस्क्यू अभियान चलाकर 17 लोगाें को सुरक्षित बचा लिया। सेना ने 100 के करीब लोगों को राशन व अन्य खाने पीने का सामान उपलब्ध करवाया है।
बादल फटने के बाद 20 पुल बह जाने से सैकड़ों गांवों का संपर्क कट गया है। गनीमत रही कि मचैल यात्रा पर रोक लगा दी गई थी, जिससे बड़ी त्रासदी होने से बच गई ज्यादातर इलाकों में बिजली गुल हो गई है। मचैल सेक्टर में 300 से ज्यादा लोग अलग-अलग जगहों पर अभी भी फंसे हैं, लेकिन सभी सुरक्षित हैं।प्रशासन के अनुसार राशन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
वैकल्पिक संपर्क मार्ग बनाकर फंसे लोगों को अपने घराें तक पहुंचाने के प्रयास जारी हैं।